क्या ही फ़ायदा सबसे पहले आने का
हँ सबसे आख़िर में मेरी बारी आती है
मैं महोब्बत भी करलू हँ किसी से भी
लेकिन सब तरफ़ से इनकारी आती है
-
सबके सब मुझको लगते हैं बदसूरत यहाँ पे
मैं भी कहाँ किसी की नज़र में खूबसूरत हूँ
-
मुझपे कभी कोई ऐसी मुश्किल आ जाए
किसी शहज़ादी का मुझपे दिल आ जाए
महब्बत फिर कभी दम तोड़ेगी नईं हमारी
चाहे कोई बीच में ही हाँ जाहिल आ जाए
मैं नईं छोड़ूँगा तेरा हाथ सफ़र ए महब्बत में
भले ही बीच मेरी क्यों न मंज़िल आ जाए
जीतने में वो आया है इक चाए का कप
इतने में तो यार हाँ अच्छी पायल आ जाए
मुझे आना है महब्बत कि गिरफ़्त में फिर
चाहे रोकने को मुझे पूरी महफ़िल आ जाए
सौरव के साथ जुड़ेगा कोई नाम कभी तो
चाहे कोई करके महब्बत कामिल आ जाए
-
तुम रोक लेना आके मुझे अगर कभी मैं किसी की महब्बत में पड़ा
तुम मुझे किसी का भी होने न देना ऐसा कुछ जादू मुझपे करना
और जिस दिन तुम्हारा जादू मुझपे चल पड़ेगा फिर उसी दिन
तुम भी मुझे तुम्हारा होने न देना ताकि मैं तुम्हें हमेशा याद करूँ
-
मेरे हाथ से निकल गया हूँ मैं ख़ुद
खुदकी भी अब मैं हँ कम सुनता हूँ
उसे कैसे कहूँ कि मुझे महब्बत दे
सिर्फ़ मैं ही उसे महब्बत करता हूँ
-
मुझे भी इतनी सी दौलत मिल जाए
किसी दिन हँ उसका ख़त मिल जाए
मैं भी भी खुदसे हाँ बोलने लगूँगा फिर
बस कुछ दिनों की महोलत मिल जाए
आपसे बस मुझे इतनी सी उम्मीद है
आपसे थोड़ी सी महब्बत मिल जाए
मुझसे कोई तो बात करे यही है बस
किसी की इतनी से नीयत मिल जाए
के मिल जाए मुझे भी हाँ कोई महबूब
भले ही उसकी मुझे नफ़रत मिल जाए
-