इतनी शिद्दत से तुम्हें पाने का मन्नत किया, इतनी शिद्दत से तुम्हें पाने का मन्नत किया। आज जब मौत भी सामने आ गई, मन्नत करते करते फिर भी तुम्हें ना पा सके। ऐ ख़ुदा, यह भेदभाव सिर्फ हमसे ही क्यों?
कैसे समझाऊँ तम्हें? जिस दुनिया में तुम्हारा साथ ना हो, हमे ना उस दुनिया का साथ चाहिए ना सहारा। खुदा से बस यही दुआ है उस दुनिया से हमें मिटा दें, जहाँ तुम नहीं।।