Thodi si Nadan hu ..jo usko pareshn dekh ro deti hu !
Thodi si Smjhdar bhi hu.. hr halat me uske sth rehti hu ❤️-
रंगो का ये त्योहार भी बेरंग लगने लगा है
आपके बिना ये घर भी बेकार लगने लगा है
आपकी नामोजूदगी में इन त्योहारों का आना भी खलने लगा है
वो एक दिन मिलने की आस का दिया भी अब बुझने लगा है
सबके साथ रह कर भी मेने खुद को अकेला महसूस किया है
आपसे मुलाकात की चाह मे मैने खुद को महफूज़ रखा है
ना जाने कब में आपसे साथ रंगो में रंग पाउंगी ।
ना जाने कब ये अधूरी ख्वाहिश पूरी कर पाउंगी ।।-
ऐ जिंदगी ! तु भी खफा हो मुझसे
हर बार मै क्यो तुझसे खफा रहु ..
कुछ बुराईयां मुझमे भी है
फिर हर दफा बुरी तूझे क्यों कहूं ..
कुछ उम्मीदें तुझे मुझसे भी है
फिर क्यों ना मै उनपे खरी ना उतरू ..
मेरे संग मुसीबतों में तु भी लिपटी है
फिर क्यों मै तुझे उसका ज़िम्मेदार कहूं ..
उलझी हुई में खुद भी हूं
फिर क्यों कहूं की तु सुलझी नहीं है ..
कुछ सवाल मेरे मुझसे भी है
फिर क्यों हर सवाल पर तु कठघरे में खड़ी है..
हर दफा कहती रही कि " जिंदगी बहुत बुरी है "
पर क्यों भूल गई की सिर्फ तु ही हर पल हर वक्त मेरे साथ खड़ी है ..
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इस क़दर नफरत हो गई हैं ..
की तुमसे तो बात करना दूर
तुम्हारे बारे में बात करना तक पसन्द नहीं !-
कुछ ख्वाब है जिनका अधूरा रहना ज़रुरी है
अपनो के संग परायो सा रहना जरूरी है
हजारों उलझनों के संग मुस्कुराना जरूरी है
' चल छोड़ ना ' कह कर जिंदगी में आगे बढ़ाना जरूरी है
कुछ सपनों को अपनो के लिए छोड़ना जरूरी है
ओर ये जिंदगी है जनाब .....
यहां मुस्कान के पीछे हजारों दर्द छिपाना जरूरी है-
मेरी दी हुई अंगुठी को तो उतार फेका तुमने
पर उस निशान को कैसे मिटा पाओगी ..
ओर सबसे कहती फिरती हो की मुझसे प्यार नहीं अब
अरे मेरी जान ! अपने दिल को कैसे समझा पाओगी ...-
अकडू सा है वो ओर बुद्धू सी हूं मैं
लापरवाह सा है वो ओर उसके प्यार में पागल सी मै
देखू उसे तो मेरी सांसे फुल जाती है
ना देखू तो धड़कने रुक सी जाती है
उसके ख्याल से ही होठो पर मुस्कान आ जाती है
गर थाम लूं उसका हाथ तो जन्नत कि सैर हो जाती है
बंद आंखों में वो सपना सा है
खोलू आंखे तो वो अपना सा है
मौजूदगी में उसकी ये जहां बेगाना सा है
खुश हूं इसी अहसास से की वो मेरा दिवाना सा है
परवाह क्या मुझे इस दुनिया जहां की ....
जब मेरे दिल के आशियाने का वो शहजादा सा है-
इजहार ए मोहब्बत वो कहीं ओर करने लगे है ।
ओर हम अपनी ही मोहब्बत पर शर्मिन्दा होने लगे है ।।-
हां ! मै टूट कर जुड़ना जानती हूं
मै वो बारिश के जैसी हूं जो पसंद तो हूं सबको ,
पर बस कुछ वक्त के लिए ।
मै वो कागज की कश्ती जैसी हूं जो तैरना तो जानती है
पर बस कुछ देर के लिए ।
मै वो एक ख़्वाब हूं जिसका हकीकतों से कोई वास्ता नहीं ।
मै वो एक कलम तो हूं पर उन रद्दी के टुकड़ों के लिए ।
समझदार तो हूं पर सबको खुश रखने के लिए ।
एक खिलौने सी हूं सबका दिल बहलाने के लिए।
बीच बवंडर में फसी तूफान सी हूं
समंदर के बीच डूबी पतवार सी हूं
गम में भी मुस्कुराना जानती हूं
क्योंकि मै टूट कर जुड़ना जानती हूं।।
कुछ अनकही सी बाते है जो बताना चाहती हूं
कुछ अधूरी सी यादे है जिन्हे पुरा करना चाहती हूं
पर अब उम्मीद नहीं की मुझे कोई ओर समझें
क्योंकि मै खुद को समझने लगी हूं
हां ! मै खुद से प्यार करने लगी हूं
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ज़िंदगी😍
ना तो खुश हूं मै ओर ना ही वो ।
हर गम मुस्करा दे जब मेरे साथ होती है वो ।
मुसीबतों से घिरी है वो
फिर भी मुझे मुस्कुराना सिखाती है..
"छोड़ के चली गई तो बहुत मारूंगी "
ऐसी सनकी सी बाते वो करती है
मेरे होने पर मरती है ओर मेरे रोने से डरती है
' बेटा ' बोल के सबकी मां बनती है
ओर मुसीबतों से खुद मे मचलती है
अपनी हंसी में हर गम छुपाती है
मुझसे घंटो बतिया के सब कुछ बताती है
चल फिर से कुछ मुलाकाते हो जाए
कुछ अनकही सी बाते हो जाए
ओर तरस गए हैं तुम्हे देखने के लिए
फिर से गले लगा के सब कुछ बया हो जाए
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