Sonu singh   (सोनु)
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sonusingh.tml@gmail.com
Joined 11 June 2019


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25 APR AT 12:11

रात की इकाई में,
दर्द की गिनती दहाई है।
जिंदगी की इस तन्हाई में,
कोई आ जाए — बस इतनी सी दुहाई है।

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23 APR AT 17:36

“तुम सिर्फ़ मित्र नहीं„

तुम सिर्फ़ मित्र नहीं,
मेरे प्राणवायु हो,
तुम सिर्फ़ मित्र नहीं,
मेरी चिर आयु हो।
तुम सिर्फ़ मित्र नहीं,
दुःख के असीम सागर से,
खुशियों की ऊँचाई तक पहुंचाने वाले जटायु हो।
तुम सिर्फ़ मित्र नहीं,
मेरे लिए खुशनूमा मौसम और जलवायु हो।
तुम सिर्फ़ मित्र नहीं,
मेरे औषध और हर्षायु हो।

तुमसे ही ये संसार है,
तुम बिन ये जीवन निरस और बेकार है।

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22 APR AT 21:23

सिर्फ ख़्वाहिश होती, तो बीच सफर में ही
मैं दम तोड़ देता...
मगर ये मोहब्बत है,
तभी तो मेरी ग़ज़लों ने
तुम्हारे लिए आकाश नाप लिया।

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22 APR AT 20:55

मैं जन्म-जन्मांतर तक इंतज़ार करने को तैयार हूं,
शर्त सिर्फ इतनी-सी है कि तुम्हें मिलना ही होगा॥

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15 APR AT 11:39

“काश, तुम्हारी तस्वीर बोल पाती„

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7 APR AT 11:46

तुम्हारे बिना ही तुम्हारा जन्मदिन मना रहे हैं,
मोमबत्ती तो नहीं,
मगर मोमबत्ती की जगह खुद को जला रहे हैं।

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6 APR AT 17:25

माथे की सिलवटें

माथे की सिलवटें बता रही हैं,
बुढ़ापा चल के नज़दीक आ रही है।
गुज़रती हुई जवानी का एहसास दिला रही है,
हर मुस्कान अपने पीछे थकान छुपा रही है।

आईना भी अब सवालों की झड़ी लगा रही है,
चेहरे की झुर्रियां भी अब किस्से पुराने सुना रही हैं।
कभी जिन आंखों में ख्वाब थे,
अब उन्हीं आंखों में धुंधली यादें समा रही हैं।

हँसी अब ठहाकों जैसी नहीं रही,
अब तो ज़िंदगी बस आईने के सामने मुस्कुरा रही है।
हर लम्हा खामोश हैं।
फिर भी जिंदगी जीने को उकसा रही हैं।
मगर पता नहीं क्यूं अब भी मन ,
बीते पलों की परछाईं पिछे ही जा रही हैं।
बीते पलों की परछाईं पिछे ही जा रही हैं।

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1 APR AT 11:31

”ढूंढते हैं„

हकीकत में जो बिछड़े हैं,
उन्हें अब ख़्वाबों में ढूंढते हैं।

फूल जो दिए थे किसी ने मुझे,
उनकी ख़ुशबू आज भी किताबों में ढूंढते हैं।

जो लम्हे बिताए थे संग किसी के मैंने,
उन लम्हों को अब अल्फ़ाज़ों में ढूंढते हैं।

बातें जो संगीत सी लगती थीं मुझे,
उन्हें कुछ बिखरी धुन और साज़ों में ढूंढते हैं।

चेहरे जो रौशन थे चाँद जैसे,
अब उन्हें बुझते हुए चरागों में ढूंढते हैं।

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27 MAR AT 14:56

“अब किसी का इंतज़ार नहीं„

इंतज़ार इतना किया कि अब किसी का इंतज़ार नहीं।
प्यार इतना किया कि अब किसी और से प्यार नहीं।

करार इस तरह खोया कि अब दिल किसी के लिए बेक़रार नहीं।
चाहत थी जिसकी,
अब उसकी भी दरकार नहीं।

भरोसा कुछ यूं टूटा कि अब किसी पर ऐतबार नहीं।
जो था कभी अपना,
अब उसका भी इख़्तियार नहीं।
इसलिए अब मोहब्बत से अपना कोई सरोकार नहीं।
इसलिए अब मोहब्बत से अपना कोई सरोकार नहीं।

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21 MAR AT 18:24

तक़दीर ऐसी कि तेरी तस्वीर को तरसे,
पीर ऐसी, आँखें बिन मौसम बरसें।

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