Sonu मिश्रा  
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एक गांव का निवासी
शहरो का जानकार....
Joined 19 July 2020


एक गांव का निवासी
शहरो का जानकार....
Joined 19 July 2020
29 JUL 2023 AT 0:06

ना कुछ चाह है ना मांग , बस रहना हमारे साथ
होती है गलतियां, करना चाहूं गलत कुछ काम
हे केशव! बस पकड़ लेना उस दिन हमारा हाथ
कदम डगमगाए, लखड़ाने लगे जुबान, निकले अपशब्द
मनन करू, चिंतन करू! करू मैं उसमे अमल
लगे कार्य नीति,न्याय, शास्त्र, धर्म और अर्थ के विरुद्ध
हे केशव! बस पकड़ लेना उस दिन हमारा हाथ
कलयुग के इस दुनिया में कलयुगी इंसान हूँ
त्रेता के वामन,परशुराम और राम हो
कृष्ण कहू तो आप द्वापर के पालनहार हो
होती है गलतियां, करना चाहू गलत कुछ काम
हे केशव! बस पकड़ लेना उस दिन हमारा हाथ...

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1 MAR 2023 AT 21:48

रंग सावली जुल्फे बिखरी थीं
होठो पे हसी पलके झुकी थीं
मानो वो वक्त भी थम सा गया था...
जब जुल्फों को संवारती हुई उनकी पलके,
हमारी तरफ उठी थीं!

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26 AUG 2022 AT 2:52

ये रास्तों के काँटे मुझे कहा तक रोक पाएगा
ऐ मंजिल तू मुझसे दूर कितना जायेगा....
कि तू मुस्कुरा ले मेरे नाकामी पर,
तू हस ले मेरे प्रयासों पर,
तू उठा ले सवाल मेरे विचारों पर,
तू साथ न दे मेरे कार्यों पर,
किन्तु बता देंगे किसी रोज ऐ जिंदगी की कौन हैं? हम
ये रास्तों के काँटे हमें कब तक रोक पायेगा
ऐ मंजिल तू मुझसे दूर कितना जाएगा.....

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28 JUL 2022 AT 11:27

आज मोर गाँव के माटी ममहावत हे
लईका मन गेड़ी चढत जावत हे
आज मोर गाँव के नोनी मन
मायके कोती भागत आवत हे

शहर में जाके सब बसत जावत हे
फुगड़ी, भौरी आउ गेड़ी के खेल नदावत हे
फेर गाँव म आज भी सब लइकन मन,
खेले बार एक जगह सकलावत हे

धान के थरहा देवाय हे
कुदारी,नागर धोवाय हे,
लइकन मन के गेड़ी खपाये हे,
घर के बहु - बेटी चीला, चौसेला बनाये हे,
सावन के महीना आये हे,
करिया - करिया बदरा छाय हे,
किसानी के काम अब हरियाय हे,
ले संगी ले संगी अब हरेली के तिहार आये हे........

सभी छत्तीसगढ़ वासियों को पहली तिहार
हरेली की बहुत बहुत बधाई🌾🌾🌻🌼

_Sonu मिश्रा














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25 APR 2022 AT 21:20

मैं मुसाफिर राह का
तुम कोई शीतल छाँह प्रिये....

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30 MAR 2022 AT 23:00

इस अंधेरी रात में ऐसा क्या लिखूं
कुछ सच्चाई या पूरी अनृत बात लिख दू
खैर छोड़ो, तुम बताओ क्या सुनना है?
मैं उस पर पूरी एक किताब लिख दू.......


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16 FEB 2022 AT 23:59

चमकते तारो के ऊपर, काला बादल छाया हैं
मुस्कुराते चहरो के पीछे, निराशा छाया है
सुन लिया करो कभी मन का अंधेरी रातो में
ये दिन के उजालो में बहुत इतराया है— % &

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31 JAN 2022 AT 22:21

गुफ्तगू किया करो रातो में
ये मन बहुत इतराता है
दिन के उजालों में.......

न कर सको बाते तो
पढ़ा लिया करो आँखे
गुफ्तगू किया करो रातो में
ये मन बहुत इतराता है
दिन के उजालो में

अपने हाथों को लेकर उनके हाथों में
बुनता हैं एक ख्वाहिश हमेशा रातो में
ये मन बहुत इतराता है
दिन के उजालो में......
— % &

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13 DEC 2021 AT 21:28

हम दोनों के दरमियान दूरी बस इतनी सी थी,
कि मुझे चाय, और काफी उसे पसंद थी।

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14 SEP 2021 AT 23:26

जिंदगी यूँ ही तमाम नही करना
जो सोच के निकले हैं घर से उसे बेहिसाब चाहना
और ये इश्क, प्यार, मोहब्बत, दोस्ती और दुश्मनी सब जायज है
मगर ख्वाहिश हैं, दोस्तो के साथ मंजिल तक जाना

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