जो खुद को ही समझ न आए वो किरदार कैसा जो उलझन को सुलझा न पाए वो यार कैसा, बहते पानी में बहे पत्थर पानी की मर्जी से, जो दिल ना लगे आजादी से उस दिल में प्यार कैसा ।।
तुम बेसब्र हो क्या हुआ ? तुम सफर में हो! तुम ख्याल रखना अपना तुम जिंदा हो मगर कब्र में हो ये मुर्दे जाग जाएंगे ये तुमको बहूत डराएगें जुनून अच्छा है चौधरी मगर तुम सफर में हो!
राह गुजर गई,अब शहर जाना है बताओ चौधरी अब तेरा कहां ठिकाना है रूहानी याद है और मीठी कश्मकश सपने इश्क के और नींद है रुखसत मै बैठा बीहड़ में था ये सब सोच रहा चांदनी रात में एक कुत्ता रो रहा।।
वफा की झलक हमको फिर नजर आई अये जिन्दगी तू मुझे कहा ले आई।
अंधेरा चारो तरफ मगर चांद चमक रहा मुझे रात में भी सब कुछ दिख रहा वो कहते थे बेवफ़ाई मंजूर नहीं हम कहते है की मुकम्मल इश्क रहा देखो चांदनी रात में एक कुत्ता रो रहा।।
तलाश कभी खत्म नही होती अहसास कभी रुका है क्या ? ये रूहानी यादें ही तो है कभी कोई इन्हें मिटा सका है क्या ? राहत मिलती थी उनके आसियाने में मगर कोठे पर कोई रात से ज्यादा रुका है क्या ?
जगह पूछते हो मेरी श्मशान का पता बता दूं क्या राह पूछते हो मौत का रास्ता बता दूं कहाँ नींदे है कहाँ जान है नाम पूछते हो जिंदा ही कहाँ हूं जो काम पूछते हो सिर्फ उससे इश्क़ है पाने की तलब भी जहां में सिर्फ उसको बताऊ या सबको बता दूं।।