मुझे फ़ुरसत ही कहा की मौसम सुहाना देखूँ
साहब!
आपकी याद से निकलू तो ज़माना देखूँ-
अच्छा,,,,,! तो कुछ नहीं है
लेकिन अब जो है सही है
मुझे फ़ुरसत ही कहा की मौसम सुहाना देखूँ
साहब!
आपकी याद से निकलू तो ज़माना देखूँ-
Party me drink krne ke baad
Dost- Or mt pi yaar tere papa tujhe dekhege to kya kahege
Dost--
Me:- आजा यार खाना खा ले,,,,,,
Frnd:- नहीं जब तक वे खाना नहीं खा लेते मैं नहीं खा सकती।
Me:--
ऐ,,,,, राजु खोपड़ी तोड़ , खोपड़ी तोड़ साले का!
मेरा खम्बा पी के आया लगता हैं।-
शिकायतों की पाई
पाई जोड़ रखी थी मैंने,,!
उसने गले लगा कर
सारा हिसाब बिगाड़ दिया-