सुनो जी
वह शब्द नहीं है जिसमे तुमको व्यक्त किया जाए |
अविरल धारा बरबस वह चली नयनों से अब कैसे अतृप्त हृदय को तृप्त किया जाए|-
ॐ चित्रगुप्ताय नमः 😊🙏
मैं महाकाल की भक्त
रहती सदा उनकी भक्ति में मस्त
वक्त च... read more
समय की यह शक्ति है
की रगों में तेरी अटूट भक्ति है
झुके हैं सर रंग और राजा के तेरे आगे किसकी क्या हस्ती है
सुख-दुख दो किनारे, जीवन नदिया में बहती कश्ती है
और कोई मतलब नहीं रहता उसका जीवन की धूप छांव से जिसमें शिव भक्ति बसती है
हर हर महादेव जय भोलेनाथ 🙏🙇♂️-
भूला ही कब था जो याद करे तुमको यह दिल...
साल के हर महीने ❤️
महीने के हर सप्ताह ❤️
सप्ताह के हर घंटे ❤️
घंटे के हर मिनट ❤️
मिनट के हर सेकंड ❤️
सेकंड के हर पल ❤️
मेरा दिल तुम्हें याद करता है
पर अब दिल ने भी कह दिया है
तुमसे दूरियांँ ही सही हैं
क्योंकि
न तुम्हारी बेफिजूल की नाराजगी सहन है
और
न तुम्हारी बेपरवाही पसंद है |❤️💔
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जो साथ रहकर जड़ें काटे भगवान उससे बचाएं
और
भला करें भगवान उसका जो दूर होकर भी दे दुआएं |
जय भोलेनाथ-
सभी खूबसूरत और ऊर्जावान दोस्तों को मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ,
हमारा बंधन हमेशा मजबूत बना रहे।❤️❤️🌺🌺
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तेरी मेरी दोस्ती के नाम,यह पैगाम 👭
तेरे साथ है दिल को चैन-ओ-आराम💞
मेरी प्रिय सखी किस्मत से तुम मिली हो ,
पानी में जैसे घुल जाते रंग वैसे जीवन में तुम खुली हो |
जैसे आसमान चांँद तारों के बिना अधूरा है,
धरती हरियाली के बिना, वैसे तुम मेरे लिए जरूरी हो |
अब तेरे बिना मेरे जीवन का अस्तित्व अधूरा है,हमेशा साथ रहना प्रिय सखी स्वस्थ रहना,प्रसन्न रहना,अपना बहुत ख्याल रखना मेरे लिए,मुझे हर कदम में अब तुम्हारी आवश्यकता है तुम्हारी मुस्कान,तुम्हारा साथ,मेरे जीने का हौसला है,यह हौसला और ताकत बनाए रखना क्योंकि तुम ही मेरी जिंदगी की खुशी,तुम ही रोशनी हो|❤️❤️
मित्रता दिवस की अनंत शुभकामनाएंँ
लव यू ❤️❤️-
जिस सफर पर चल पड़े हो एक बार,उस सफर से कभी घबराना नहीं...
और
मिले या ना मिले कुछ मनचाही मंजिलें,पर मेहनत करने वालों का ठिकाना बेहतरीन ही होता है,
कहीं ना कहीं❤️❤️-
प्रेम का खूबसूरती से क्या ताल्लुक?
क्योंकि
प्रेम तो खुद में बहुत खूबसूरत है|
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घूंँघट
घूंँघट यदि इज्जत का प्रतीक होता,तो बेटियों से भी कराया जाता |
घूंँघट सिर्फ घर की बहू के स्वाभिमान के हनन के लिए बनाया जाता है,
जिसमें दबी होती है उनकी तमाम इच्छाएंँ और आजादी |
घूंँघट सिर्फ स्त्री ही क्यों करें?अगर घूंँघट प्रतिष्ठा का प्रतीक है,तो पुरुषों से भी कराना चाहिए|
ये पर्दा प्रथा स्त्री के लिए ही क्यों?हांँ यह सत्य है,कि स्त्रियों की सौंदर्यता,लावण्यता और तेजस्विता में घूंँघट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है,
पर इसे स्त्री की स्वेच्छा पर छोड़ देना चाहिए|
ऐसा कोई रिवाज नहीं होना चाहिए |
क्योंकि जिस प्रकार एक चरित्रवान पुरुष अपनी नजरों को झुका कर एक
स्त्री-पुरुष के बीच की मर्यादा को बना कर रखते हैं,
उसी प्रकार एक सभ्य और संस्कारी स्त्री सदैव अपनी संस्कृति और परंपराओं को निभाती हैं|जिस प्रकार फूहड़ और अल्हड़ पुरुष आंँखों की मर्यादा को बना के नहीं रखते उसी प्रकार स्त्री घूंँघट में रहकर भी अभद्र व्यवहार दर्शाती है|घूंँघट किसी भी स्त्री के व्यक्तित्व का परिचायक नहीं है|
कृपया स्त्रियों के परिधान से उसके आचरण का आकलन ना करें|✍️✍️
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