आज से कुछ ऐसा करना है ,
फिर कभी नहीं डरना है,भूल गई हूं जिस मुकाम को मुकाम को पाकर दिखाना है ,
दिखाना है,
भुल चुकी थी मैं जिस अपने जज्बात को,
उसकी रोशनी को फिर उजागर करना है,
आग लगी है सीने में उसी आग से अपनी जिंदगी के बुझे हुये दिए को फिर से जलाना है अब घबराना नहीं है पीछे मुड़कर वापस जाना नहीं है,
दिखाना है,
आज से कुछ ऐसा करना है ,
फ़िर कभी नहीं डरना है ,भूल गई हूं जिस मुकाम को मुकाम को पाकर दिखाना है,
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