हैरान भी क्यों हुए उनके फैसले पर...
उन्होंने कहा ही कब था ??
"के हम तुम्हें धोखा नहीं देंगे..."-
नमक तुम हाथ में लेकर
"सितमगर" तुम सोचते क्या हो...
हज़ारों "ज़ख्म" हैं इस दिल पर
जहां चाहो छीड़क डालो...-
शुक्र करो...
कि जो दर्द हम सहते हैं,
वो लिखते नहीं!!
वरना कागज़ों पर लफ़्ज़ों के
जनाज़े उठते!!-
करवटें बदलने में ही रात सारी गुज़र जाती है...
कुछ बातों को सोचने में ही अक्सर सुबह हो जाती है!!-
अश्क थे हज़ारों
हिरासत में मेरी आंखों की...
ज़मानत मिल गई सबको
बस ज़रा सा कुछ याद आते ही...-
ना नफ़रत है तुमसे
ना ही मोहब्ब्त अब रही...
ना पाने की ख़्वाहिश अब तुमको
ना ही खोने की घबराहट अब रही...-
भोला सा मिज़ाज है उनका, बल में सबसे
बलवान हैं वो...
है आज जन्मोत्सव जिनका, श्री राम भक्त
हनुमान हैं वो...
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भरोसा किया था तुम पे
तुम्हारी मासूमियत को देख के...
मालूम नहीं था मुझे...!!
कि लाए हो तुम प्यार की चादर में
अपनी हवस को लपेट के...-
जिस्मों का शौंक रखने वाले
कहाँ किसीका दिल... जज़्बात...
मासूमियत... देखते हैं,
ये तो बस मोहब्बत की आग जलाके
हवस की रोटीयां सेकते हैं !!-
तुम्हें कईं 'झूठ' बोलकर भी
'वफ़ादार' होने का 'नाम' मिले!!
मुझे 'सच' बोलने पर भी
'धोखेबाज़' होने का 'इल्ज़ाम' मिले!!
'दुआ' है ये मेरी कि...
तुम्हें तुमसा ही कोई 'वफ़ादार शख़्स'
तुम्हारी 'वफादारी' का 'इनाम' मिले!!-