Soniya Bahukhandi   (सोनिया)
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Joined 13 January 2017


Joined 13 January 2017
7 FEB AT 19:46

भीड़ मे क्या मिलना था तुमसे,
किताबों के बीच.
कभी अकेले मिलूँगी, काफी की खुशबू के साथ
कोने की टेबल मे,
रूठी फरवरी को मनाते हुए
उलझी पहेलियों को सुलझाते हुए!
मेरे अतीत की तमाम परिक्रमाओं के साथ ,मुझे तुम बैठा देना उस अंतिम बस मे
जो मुझे ले जायेगी
मन्नतों वाली नदी के पास
जो बहती है खुशबु से भरे पहाडों के बीच
मैं उन पहाडों से
तुम्हारे अशांत, अनोखे और विद्रोही प्रेम का जिक्र करूँगी,
और पहाड़ खिलखिला देगा मासूम बच्चे की तरह.

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18 DEC 2024 AT 23:40

दिसम्बर में खिले सर्द फूल
इंतजार में होते हैं
धूप के खिलने के
नदियों में आने लगता है इन दिनों खोखलापन
इसी खोखलेपन में छुपा होता है
एक कायर प्रेमी का इश्क
नदियों को इंतजार है
बारिश का
बारिश को इंतजार है उस लड़की का
जिसे पसंद था गुलाबी रंग
जिसे दिसंबर बीतने से पहले सुनाई देती थी
आवाजें
की तुम प्रेम में मरोगी
वो इंतजार करती मन्नतों वाली जनवरी का
और उसकी आत्मा उसका साथ छोड़ देती,
आत्मा को इंतजार है
सर्द फूलों के खिलने का
धूप के आने का
ये धूप नए जन्म के
वादों का करार है।
Soniya




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23 JAN 2023 AT 11:59

मेरे गांव में चांदी के पहाड़ हैं
तुमने कहा चल झूठी!😌
मैं मुस्कराई बोली
गांव के रास्तों में बिछी हैं
नर्म हरी हरी कालीन
तुम यादों की नीली, पीली और गुलाबी
रोशनी में झांकते हुए बोले
क्या दो विपरीत मौसम एक साथ होते हैं
मैने कहा हां वैसे ही
जैसे मेरी उदासी और तुम्हारी खुशी
तुम्हें अब हरी कालीन दिखाई दे रही थी
और मुझे पिघलती चांदी

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22 JAN 2023 AT 17:46

मैं पुराने दिनों में लौट आई हूं
जहां बारिश के कई किस्से हैं
जिन्हे नीम के पेड़ के नीचे
एक अकेली बहने वाली नदी को सुनाया था तुमने
वो किस्से जो मेरे जेहन में एक फिल्म की तरह चलते हैं
इन दिनों।

ऐसे ही एक सुस्त उदास लंबे दिन में
दुख नीले निशान की तरह फैल रहे थे
एक छोटी चिड़िया जंगल जलेबी के पेड़ में
कोई उदास धुन चहचहा रही थी
तुमने कहा बसंत की शुरुआत है
मैं इतना ही बोल पाई उदासी में कैसा बसंत!

तुमने हाथ नही थामा, बस उंगली पकड़ी
मैने देखा तुमने एक मां की तरह प्रेम को जन्म दिया
तमाम दर्द के बावजूद प्रेम
सभी नीले निशानों को लील गया
तुम्हारा होना ही बसंत था
इसलिए मैं लौट आई हूं पुराने दिनों में
"वही पीली तितलियों वाला मौसम"

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2 DEC 2022 AT 8:30

फिर से तुम्हारी यादों का दिसंबर खर्च हो जायेगा
इंतजार की जनवरी दस्तक दे रही है

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18 NOV 2022 AT 8:02

जो ये सोचते हैं
वापस आना है या चले जाना है
प्रेम उन्हें दिमाग से दिल तक की सड़क दिखाता है
और वापसी के रास्ते खोल देता है

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17 NOV 2022 AT 17:11

जब कहने को कुछ ना बचे
तुम कोरे कागज में "मौन" लिख देना
मैं समझ जाऊंगी, तुम्हारा प्रेम
कई बार कहने से बेहतर होता है समझना।

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16 NOV 2022 AT 8:17

जीवन के तूफानी दौर में
प्रेम हमे नए जन्म की तरह मिलता है
जैसे रेगिस्तान के बंजर में किसी फूल को
इंतजार होता बारिश का....

सांसों जब देने लगती है, धोखा
लफ्ज़ जुबान से छूटते छूटते रह जाते हैं
ऐसे में खुली किस्मत की तरह
प्रेम आपकी हथेली में जीवन लिखता है।

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14 NOV 2022 AT 22:02

मेरे लिए प्रेम ,स्मृतियों की उगी झाड़ियों में
लहूलुहान होना नही
बल्कि अगली सुबह है जो खत्म होने के बाद फिर
शुरू होती है।

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14 NOV 2022 AT 16:09

हम दोनो जिंदगी की फटी कमीज़ पहने
एक ही शरीर हैं! जो बस जी रहे हैं
समय के शहर में, उदासियों की नदी बहे जा रही है
और यादों के जंगल
उम्मीदों की यात्राओं पर पैर पसार रहे हैं
तुम अपनी घृणा को चिल्लर की तरह जमा कर रहे हो,
मैं इन सबसे परे हटकर, कमीज को रफू करने की कोशिश कर रही हूं
और अपने आपको बाहर निकलने की भी....
मेरे लिए प्रेम ,स्मृतियों की उगी झाड़ियों में
लहूलुहान होना नही
बल्कि अगली सुबह है जो खत्म होने के बाद
शुरू होती है।
सोनिया

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