चांदनी रात हो
खूबसूरत सा ख्वाब हो
गंगा का किनारा
बनारस का घाट हो
नाव पे चलती जिंदगी
हर रंगों का एहसास हो
बया जो ना हो
ऐसा खूबसूरत शाम हो
कारवां हो ,महफिल हो,
जश्न का रात हो
सारे दोस्त साथ हो
बनारस की गलियों में आवारा शाम हो
महादेव का नाम हो
मणिकर्णिका से शुरुआत हो
जिंदगी का एक ऐसा शाम हो
हकीकत से कुछ मुलाकात हो-
बनारस की सादगी
खुद में एक श्रृंगार हैं 🌼
और आज की चांदनी
खूबसूरत सा ख्वाब है💝-
इस खामोश से शहर में
हल्ले बहुत है
ये बनारस है जनाब
यहां मोहल्ले बहुत हैं
-
अक्सर ख्वाहिशों को टूटते देखा है
चाहा जिसे ,
उसे किसी और का होते देखा है|
कहता था मोहब्बत है सिर्फ तुमसे
उसे किसी और पे भी मरते देखा है|
जिसे कभी मोहब्बत सिखाया था
हमने ,, वो कहता है
किसी एक से मोहब्बत कहां होता है|-
लाख दर्द हो जिंदगी में
मुस्कुराने का हुनर तो होना चाहिए
दर्द - दर्द चलाने से
दर्द कम थोड़ी होता है
मुस्कुराहट में इतना असर हो की
दर्द के दिल में दर्द होना चाहिए
-
सुकून ढूंढोगे
तो बनारस कभी आना तुम
और मोहब्बत ना हो जाए
हमारे शहर से तो बताना तुम
और जीने की ख्वाहिश तो
यहां मरने के बाद भी करते हैं
और मरने के बाद
यही जलने का ख्वाब भी रखते हैं
कुछ ख़ास नहीं इस शहर में
पर ना जाने क्या राज है
जो आता है यहा , यही का हो जाता है
फिर दूसरा कोई शहर रास नहीं आता है
जनाब ये बनारस है ,
इस शहर से इश्क हो ही जाता है-
कतरा - कतरा रोम - रोम
तेरा कर्जदार है मेरे महादेव
चुका तो नहीं पाऊंगा तेरा ये कर्ज
पर हां जिस दिन तेरा जी करें
बुला लेना अपने
इस घाट पर शौक से जल जाऊंगा
हर हर महादेव🙏❤️❤️
shani agrahari-
सिर जहां झुके वहा सजदा होता है
दिल जहां झुके जनाब वहा खुदा होता है-
एक सच्चाई आज लिखती हूं
सच्ची मोहब्बत की कहानी आज लिखती हूं
राधा कृष्ण की जोड़ी से भी नफरत हो गई
यार क्या बिछड़ा हिजर से मोहब्बत हो गई
कल तक जिसे पाकर फक्र था
उसे खोकर आज दर्द से बेफिक्र हो गए
और सुनो फिर लौट के जिंदगी में मत आना
हमदर्द बन के दर्द को मत बढ़ाना
अब आजाद हूं खुली आसमां में उड़ने को
तुम्हें तुम्हारी मंजिल मुबारक
मेरे सफर के बीच में मत आना
मेरी जान मेरी जिंदगी में लौट के मत आना
हो सके तो खत्म कर देना ये प्यार का नाटक
किसी मासूम की जिंदगी में अब तबाही मत लाना
खेल सारे खेलना पर खिलौनों
से किसी के एहसासों जज्बातों से मत खेलना
और हां बेफिक्र रहो
तुम रहते हो ,ख्यालों में, यादों में, निगाहों में ,
फिर भी सुनो,
हकीकत में कभी निगाहों के सामने मत आना
मिले कभी सफर में तो अपने रास्ते बदल लेना
मेरे सफर के बीच में मेरी जान अब मत आना-
गमों की आबरू
जो अपनी खुशी को गम समझते हैं
जिन्हें कोई नहीं समझता
जनाब उन्हें हम समझते हैं-