जब समय परीक्षा लेता है
कठिन तपस्या करनी होती है
न जाने कब तक अग्नि में जलना होता है
बीच भंवर में जाकर पार निकलना होता है
ना अग्नि में जल कर राख हो सके
ना मंझधारों में बह जाए
मन कठोर कर यही प्रतिज्ञा करनी होती है
जब समय परीक्षा लेता है
कठिन तपस्या करनी होती है
चाहे जितनी ऊंचाई हो
या फिर पथ पर हो शूल बिछे
प्रतिकूल परिस्थितियां कितनी भी आएं
चाहे पर्वत सदृश कोई शत्रु दिखे
अडिग अमिट बन,या बनकर कोई धार तरल
हर बाधा पार करनी होती है
जब समय परीक्षा लेता है
कठिन तपस्या करनी होती है-
बस यही पहचान है मेरी।
उम्र प्रौढ़
व्यक्तित्व प्रखर
चेहरा ओजस्वी
परन्तु
माथे पर रत्ती भर लालिमा ढूंढता समाज
जैसे कि उसके जीवित होने का भी परिचायक वही है
वो ही
चुटकी भर "सिंदूर"
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मै अतिशय संशय वार्तालाप हूँ
मैं मार्मिक क्रंदन और विलाप हूँ
मै जड़ से चेतन तक सबमें शामिल हूँ
फिर भी मैं अकिंचन, प्रतिमा धूमिल हूँ
मै अस्तित्व की तलाश में भटक रही हर घड़ी
मै अपरिभाषित नारी खुद में एक ब्रह्मांड हूँ
प्रकृति का खुमार मैं संकल्प वो अखंड हूँ-
मौसम का हाल....
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बारिश हो रही है,
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हवा की दिशा?
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तुम से मुझ तक.....💕-
पेड़ से टूटे सब पत्ते पेड़ के पास रह कर नही समाप्त होते,
कुछ उड़ कर दूर किसी अन्य पेड़ की टहनी में अटक जाते हैं,
नादान हैं वो जो अपना आस्तित्व भूल कर किसी अन्य शाख पर खोजते है जीवन की उम्मीद,,वो भूल जाते हैं...
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जिन्होने अपना अस्तित्व भुलाया है,, उन्हें कभी किसी ने नही अपनाया।।-
तुम्हें देखा नही कभी,
पर जरूर तुम्हारे मुख पर नितांत शीतलता होगी
पूर्णमासी की रात्रि सी
सुना है,
कि तुम चन्द्रमुखी हो,,
सुनो, तुम हर रोज मिलने आना
कभी ज्यादा ,कभी कम
कभी छिपते छिपाते बादलों की ओट से
तुम्हें मुस्कुराते हुए देखने के लिए व्याकुल हूँ
इसलिए तुम आना जरूर,
हर रोज!!!-