हर इक लफ़्ज़ में उनकी चाहत,
हर इक अश्क में उनका ज़िक्र।
है मोहब्बत तो उनसे बेइंतिहा,
मगर वो इस से अनजान, बेफ़िक्र।
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"हम टूटे दिल की दास्तान बया नहीं करते
वो तो उन्हें या... read more
चाहत नहीं
वो तो बेइंतहा मोहब्बत है...
किस्मत में नहीं है वो हमारे
बस साथ गुज़ारे हर हसीन लम्हों की सोहबत है...
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हमें इश्क है उनसे,
और वो किसी और के दीवाने हैं...
हमारे अश्क बहते हैं उन गलियों में,
जहाँ किसी और के फ़साने हैं...-
मोहब्बत का इत्र
अब पहले जैसा महकता नहीं...
इन आँसुओं का पलकों में छुपना,
अब उन्हें दिखता नहीं...
सोचा —
अब न सोचूं उनके बारे में...
पर ये कमबख़्त दिल
उनके ख़यालों के बिना धड़कता भी तो नहीं...
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बिखरे हैं हम इस क़दर, ए ज़िंदगी,
कि...
इस गुमान भरी दुनिया में थोड़ा यक़ीन ढूंढ रहे हैं।
अपना-बेगाना अब हम ना जाने,
अब तो ग़ैर मुल्क में हम अपना सुकून ढूंढ रहे हैं।
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वो बारिश की बूंदें चूम रही थीं इस तन्हा दिल को,
और ये कमबख़्त... किसी और के लिए अश्क बहा बैठा।
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दिलबर भी है और बेरहम भी
उनकी यादों को हम मिटाये कैसे...
कमबख्त दिलको संभालना मुश्किल है यारो
कोई तो बता दो इसे समझाए कैसे...-
वैसे तो अब कुछ न बाकी हमारे दरमिया....
बस ये जज़्बाती मन
इस बात को मानने को राज़ी नहीं...
हो गए हैं किसी और के दीवाने वो अब
फिर भी ये जाहिल दिल
किसी और को चाहने के लिए राज़ी नहीं....-
दिसंबर की सर्द रात
उनकी यादों की बरसात लाते हैं
जो कभी दर्द दे कर चले गए थे ....-
कुछ तो बात थी उनमें.....
हमारे जिस्म में फासले थे जरूर
पर हर ज़िक्र उनका
नशा सा लगता था !!!-