Soni Sansanwal   (꧁༒•sonia•༒꧂)
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Teacher by profession
Writer by passion
💔💔💔💔
Joined 30 July 2019


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5 JUN AT 9:11

कन्यादान हुआ जब पूरा, आया समय विदाई का ।। हँसी ख़ुशी सब काम हुआ था, सारी रस्म अदाई का ।

बेटी के उस कातर स्वर ने, बाबुल को झकझोर दिया।। पूछ रही थी पापा तुमने, क्या सचमुच में छोड़ दिया ।।

अपने आँगन की फुलवारी, मुझको सदा कहा तुमने ।। मेरे रोने को पल भर भी, बिल्कुल नहीं सहा तुमने ।।

क्या इस आँगन के कोने में, मेरा कुछ स्थान नहीं।। अब मेरे रोने का पापा, तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं।।

देखो अन्तिम बार देहरी, लोग मुझे पुजवाते हैं।। आकर के पापा क्यों इनको, आप नहीं धमकाते हैं।।

नहीं रोकते चाचा ताऊ, भैया से भी आस नहीं।। ऐसी भी क्या निष्ठुरता है, कोई आता पास नहीं।।

बेटी की बातों को सुन के, पिता नहीं रह सका खड़ा।। उमड़ पड़े आँखों से आँसू, बदहवास सा दौड़ पड़ा।।

कातर बछिया सी वह बेटी, लिपट पिता से रोती थी।। जैसे यादों के अक्षर वह, अश्रु बिंदु से धोती थी।।

माँ को लगा गोद से कोई, मानो सब कुछ छीन चला।। फूल सभी घर की फुलवारी से कोई ज्यों बीन चला।।

छोटा भाई भी कोने में, बैठा बैठा सुबक रहा।। उसको कौन करेगा चुप अब, वह कोने में दुबक रहा।।

बेटी के जाने पर घर ने, जाने क्या क्या खोया है।। कभी न रोने वाला बाप, फूट फूट कर रोया है........

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6 APR AT 22:53

ये आँखे मेरी….ये आँखे मेरी रो देंगी बताते हुए तुम दिल का हाल ना पूछो
केसे हो ?
ठीक हो ?
खुश हो ना ??
इतने मुश्किल सवाल ना पूछो ।

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30 DEC 2024 AT 19:30

नाराज होने का हक कहाँ है मुझे, पत्नी हो गई हूँ ना अब, मनाते तो पापा थें, भाई भी खैर आगे पीछे रहते थें,
कभी अनबन हो जाए ससुराल में,
रूठकर खाना छोड़ देती हूँ, पर आजतक किसी ने नहीं पूछा है, फिर खुद ही खा भी लेती हूँ, पतिदेव हाल पूछ लें, ऐसा कहाँ..?
उनका गुरुर न टूट जाएगा, पत्नी हो गई हूँ ना अब, नाराज होने का हक कहाँ है मुझे..?
काश कोई लिखे मुझे ऐसे, पढ़ने वाला हर कोई मनाने आ जाये, और मुझे रूठने का हुनर आ जाये..!

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30 DEC 2024 AT 13:21

मन मारते-मारते पता नही जिंदगी कब feeling less हो गई, जिस उम्र को जी भर जीने की चाह थी, उस उम्र से ही नफरत हो गई...

जैसा सोचा था वैसा कुछ भी नही हुआ, मेरे सारे ख्वाब ख्वाहिश और वो सपनें सब कुछ अधूरे रह गए, सब्र करते-करते हम खुद ही अंदर से बिखर गए...

एक वक़्त था मेरा भी मन बहुत चंचल हुआ करता था, सब कुछ पा लेने की हिम्मत थी, और आज खामोशी मे ही पुरा दिन गुजर जाता है, ऐसा लगता है हम जिंदगी को जी नही रहे बल्कि काट रहे है...

परिस्थितियों के आगे सब कुछ सह जाना पड़ता है, जो हमें पसंद नही वो भी हमें अपनाना पड़ता है, हो नरम दिल कितना भी क्यु ना, मजबूरियों के आगे दिल को पत्थर बनाना पड़ता है..

जैसा हम कभी सोचे भी नही थे,कभी-कभी हमें वैसा ही बनना पड़ता है, ना चाहते हुए भी इस बेदर्द जमाने से हार जाना पड़ता है, परिस्थितियों के आगे हमें सब कुछ सह जाना पड़ता है

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23 JUL 2022 AT 17:50

हाय
एक ता तेरा ना(naam) पसंद है ते दूजी सानू चा पसंद है
कदे कदे तेरी याद नाल पैंदा मिह्ह(baarish) पसंद है
गल्ला गल्ला ते तेरा हस के कहना जी पसंद है
जिस थाह(place) ते होवे तू सानू वो हर थाह पसंद है
जिस राह तो वी गुजरा है सानू वो हर राह पसंद है
तू पसंद है इस करके तेरे ना मोहब्बत नही
तेरे नाल मोहब्बत है तू सानू ता पसंद है

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26 JUN 2022 AT 20:31

यूँही नहीं ये ख़ालीपन मुझमें समाया होगा मैंने अपने अंदर क्या-क्या दफ़नाया होगा?

अब मुझसे कहे भी नहीं जाते हालात मेरे शायद खामोशी पर मैंने एक उम्र को बिताया होगा?

क्या मुझे ढूँढने नहीं आया कोई अपना मेरा? या खुद को मैंने बहुत एहतियात से छिपाया होगा।

हुनर शब्दों का बहता हुआ क़लम से उतर तो जाता है

कहने में फिर वही बात क्यों कोई घबराया होगा

साक्षी अब बयान कर दिया जाए क्या इस घुटन को? कितनी दफ़ा ज़हन ने इस एक सिफ़ारिश को दोहराया होगा!

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4 JAN 2022 AT 22:29

मुझे अपने हर दर्द का हिस्सेदार बना लो 
दिल में नहीं तो ख्वाबो में ही बसा लो,
यादो में नही तो अपनी ख्यालो में ही बसा लो,
अपना एक सच्चा अहसास बना लो। 
कुछ इस तरह मुझे अपने में मिला लो,
की अपने हृदय की धड़कन बना लो,
छुपा लो सारी दुनिया से मुझे ऐसे,
की अपना गहरा राज बना लो,
कर लो मुझसे इश्क़ इतनी, 
की अपनी हर चाहत का अंजाम बना लो,
ढक लो मुझे अपनी जुल्फों से इस कदर,
की मुझे अपना सारा संसार बना लो,
बन जाऊ मै भंवरा आप फूल बन जाओ,
बन जाऊ मैं चाँद आप मेरी चाँदनी जाओ,
रख दो अपना हाथ मेरे हाथ में इस तरह,
की मुझे अपने जीवन का हमसफ़र बना लो...

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25 DEC 2021 AT 23:57

Raat ke dariya ka kinara bhi kabhi aayega....
Waqt ka kya hai hmara bhi kabhi aaayega..
Mere hisse me aaye tha koi acha din...
Puchna ye hai ki dubara bhi kbhi aayega...
Or is tssli se lg jaati hu deewar k saaath...
Teri in bahon ka sahara bhi kbhi aayega....
Main hi bichnde pr hr baar bhot roti hu....
Uski htheli pr ye angara bhi kbgi aayega
Waqt ka kya hai hmara bhi kbhi aayega...

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18 NOV 2021 AT 21:21

है कोई जो बता दे शब केे मुसाफिरों को
कि कितना सफ़र तय हो गया कितना अभी बाकि हैं...

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18 NOV 2021 AT 21:13

अपनी खुशियाँ लुटाकर उसपर कुर्बान हो जाऊ....
काश कुछ दिन उसके शहर का मेहमान हो जाऊ....
वो अपना नायाब दिल मुझको देदे,
और फिर
वापस मांगे,
मैं मुकर जाऊ और बेईमान हो जाऊ।

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