भागना चाहता हूँ!
अँधेरी रातों से बच कर, सुबह के उजाले मे जागना चाहता हूँ।
सर्दी की हवाओं में सो कर सुबह की भूख के लिए भागना चाहता हूँ।।
चाहता हूँ दूर होना सबसे, खुद से अपने फैसले लेना चाहता हूँ।
परिंदों की तरह ही सही कम से कम नीले आसमान मे भागना चाहता हूँ।।
देखता हूँ इस दुनिया को, अपने मतलब के लिए चलती है।
मतलबी न सही ढंग की ज़िंदगी के लिए भागना चाहता हूँ।।
जाना हैं उस जगह, जहाँ दिक्कत न हो मूझसे किसी को।
ऐसी जगह पर आराम से बस जीना चाहता हूँ हाँ मे भागना चाहता हूँ।।
थोड़ी सी मुस्कान लिए झूठी खुशी से बच कर सपनों से जागना चाहता हूँ।
वो ख्वाब देखना छोड़ कर में बस उन्हें जीने के लिए भागना चाहता हूँ।।
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