Sonam Puranik   (Sonam puranik)
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Professional writer
Joined 30 November 2018


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Joined 30 November 2018
21 FEB AT 22:03

हर रात कुछ कहती है
हर रात कुछ अलग होती है
दिन भर के शोर शराबे के बाद
रात का वो सुकून, वो शांति
हर रात खुद से मिलने और
खुद को जानने का समय
रात मे बादलों मे टिमटिमाते
तारों को निहारना
और घंटों उन्हीं मे घूम जाना
दिन भर की हज़ारों चिंताओ
को कर परहे
रात की सुकून की नींद

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30 JAN AT 1:04

यू शाम होते ही
परिंदों का चहचहाना और लौट
कर अपने घर को जाना।
और डूबते हुए सूरज
को देखना
उसका आकाश में यू
रंग बिखरेरना।
साथ मे चाय की चुस्की
का होना।
शाम होते ही अपनों
का इन्तेज़ार
और अपनों से बहुत सारी बात।

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30 JAN AT 0:27

मोहब्बत धोखे और भ्रम का मोहताज नहीं
अगर शिद्दत से निभायी जाए, इससे सुन्दर कोई ख्वाब नहीं

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23 DEC 2024 AT 0:14

हर उलझनों, हर सोच को
तू कर दर किनार
जिंदगी आज में है,
तू इसको जीकर सवार।

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23 DEC 2024 AT 0:08

हर रात ढली अंधेरा हुआ
हर सवेरे के साथ नए दिन का पेगाम हुआ
जीने का नाम जिंदगी है
हर हाल मे चलते रहने का नाम जिंदगी है

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19 DEC 2024 AT 0:08

हर इन्तेज़ार तेरा, हर सवाल तेरा
हर त्यौहारों के बीतने के साथ तेरा
तेरे कभी ना आने एहसास कराती हैं
और तेरे हर झूठे वादों की,
याद भी दिलाती है।





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18 DEC 2024 AT 23:36

चाहे बिछाओ कितनी शतरंजे,
चाहे चलो कितनी चाले
'सिकंदर' महान।
आखिरी चाल हमारी होगी,
वो भी शह और मात।

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18 DEC 2024 AT 23:23

दौर तो बदलते रहेंगे
लोग तो आते जाते रहेंगे l
चाहे बादलों लाख रास्तें
दुनिया कहा सीधी चली है
अगर बदलना हो कुछ
सोच बदलकर देखे।

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24 OCT 2024 AT 22:52

बन्द आँखों से सपने, 

तो सबने देखे है।

कुछ सपने हो जाते पूरे,

कुछ रह जाते शेष है।

कुछ सपनों के मिलने, 

की खुशी हजार है।

कुछ सपनों के ना पूरे,

होने का भी गम है।

इन जज्बातों में उलझे

ये सपने होते हैं।

मैने तो खुली आंखों

से भी देखे सपने थे।

जो मेरे अपने थे..



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26 SEP 2024 AT 1:25

जहाँ तुझे मेरे होने का एहसास नहीं था
जहाँ तुझे खोने और पाने का एहसास नहीं था
वहां भी तुझे मेहसूस करलिया हमने
Sonam puranik

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