Sonam Nema   (सोनम नेमा)
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Joined 30 April 2018


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Joined 30 April 2018
26 JAN 2023 AT 20:17

मेरी ख्वाहिशों की फ़ेहरिस्त में तुम ना थे-
मेरे ख्वाब थे इसमें
मेरे ख़याल थे
ये ज़मीं थी
वो आसमाँ था

वो फूल जो उस बाग में खिलते हैं रोज़,
मेरी ख्वाहिशों की फ़ेहरिस्त में
उनका खिलना था!

वो दो सागर मिलते हैं जो अपने ही रंग में,
मेरी ख्वाहिशों की फ़ेहरिस्त में
उनका एक दूसरे से मिलना था!

वो ढलती शाम में जब चाँद
नज़र आता है सूरज के आगोश में,
मेरी ख्वाहिशों की फ़ेहरिस्त में
उस मंज़र का नाज़िर बनना था!

बहुत लम्बी थी मेरी फ़ेहरिस्त
के इसमे -
आग थी
दरिया था
मद्धम सी हवा थी
तूफान भी था
कि तितलियाँ थीं
रंग थे
रोशनी थी इसमें!

मगर मेरी ख्वाहिशों की फ़ेहरिस्त में तुम ना थे!
हाँ मगर तुम थे..मेरी चाहतों में
और चाहत मेरी,बस चाहत थी मेरी!
मेरी चाहतें किसी फ़ेहरिस्त में ना थीं
कि हाँ चाहतें किसी फ़ेहरिस्त में हो नहीं सकती
कि तुम किसी 'फ़ेहरिस्त का हिस्सा' !
हो नहीं सकते!

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26 NOV 2022 AT 11:49











☺️

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21 OCT 2022 AT 16:03

दीवाली अधर्म पर धर्म की विजय का त्यौहार है। राम के, राजा राम बनने का त्यौहार है।अनेकों के प्रिय के लौटने का त्यौहार है। किसी संकल्प को पूरी श्रद्धा से, हँसकर कैसे निभाया जाता है, यह समझने का त्यौहार है। क्षमा की विशालता जानने का त्यौहार है। प्रेम की पवित्रता समझने का त्यौहार है। दिवाली उजाले का त्यौहार है। अंधकार को मिटाने का त्यौहार है। दीवाली खुशियों का त्यौहार है।
किसी चिढ़ का, सम्प्रदायक असौहार्द्र का, बदले का - बिल्कुल भी नहीं।
HAPPY DIWALI🙏

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23 SEP 2022 AT 1:33

कभी-कभी किन्ही चीज़ों को ,या किन्ही बातों को वक़्त पर छोड़ देना किसी कमजोरी की निशानी नहीं होता। इसका मतलब यह नहीं होता कि हम हार गए हैं या हताश हो गए हैं.. बल्कि यह उन चीज़ों में हमारी ऊर्जा को नष्ट होने से बचाता है । वक़्त पर छोड़ देने के लिए बहुत हिम्मत और आत्मविश्वास की ज़रूरत होती है।

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19 SEP 2022 AT 18:45


☺️

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25 AUG 2022 AT 19:16

जब ज़िन्दगी ले इम्तेहाँ
या दर्द कर दे इन्तेहाँ
मत भूलना तुम मुस्कुराना
चाहे लाख ताने दे जहाँ!
पतझार भी आएँगे ,राह में
तूफान भी आएँगे
बिजलियाँ चमकेंगी ,भयंकर
सैलाब भी आएँगे,
लाख रोकेगा तुमको जहाँ
पर ना खुदको थामना-
राम गौतम पीर नानक
के हो वंशज जानना!
काँटा चुभे तो समझना
रास्ते उपवनों के अब ही मिलेंगे,
याद रखना फूल सारे
काँटो की ज़द में ही खिलेंगे!
हर दिशा में तुमको दिखे
जब गहन तीखा अंधेरा,
जान लेना आ गया है वक़्त
कि अब होगा सवेरा!
मंज़िलें तुमको मिलेंगी
करना कठिन संघर्ष तुम,
अड़चनो के साथ रखना
अपने मधुर संबंध तुम!
हड़बड़ाकर, मुश्किलों को
अपनी नियति लिखने ना देना-
कौन हो तुम? इतिहास में
यह स्वयं तहरीर करना!!

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4 AUG 2022 AT 20:39

Then I wish

सर्वे भवन्तु सुखिनः 😊

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20 JUN 2022 AT 21:24

दिल पे अपने पत्थर रख रही हूँ अब
सुनो जाना! मैं अलविदा कर रही हूँ अब

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27 APR 2021 AT 23:02

आँख में ले अश्रुओं को
उठते भँवर को थाम कर अपने हृदय में
पूछती हूँ आज अपने आप से
कि क्या सत्य हूँ मैं?

देखकर इस जगत की रीतियों को
नित्य ही खोजती हूँ स्वयं को
और करती विश्व से इक प्रश्न हूँ
कि इस जहाँ से क्यों भला अनुरक्त हूँ मैं?

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16 NOV 2021 AT 20:34

कितनी ही बार तुम उदास होते हो और किसी को बता भी नहीं पाते कि आखिर उदास क्यों हो?ऐसा नहीं है कि तुम उदासी की वजह नहीं जानते ,दरअसल तुम ये नही जानते कि कहें कैसे! ना जाने कितने अधूरे अक्षरों से नये शब्द बनते हैं मगर ये भी सच है, कि कहीं ना कहीं शब्द अधूरे ही होते हैं, और उलझने या उदासी अधूरे नहीं होते ये एक दूसरे में गुँथ- गुँथ कर अपनी एक अलग ही संरचना बना लेते हैं! तुम एक कारण को पकड़कर कुछ सुलझन ढूँढ ही नहीं पाते ,और अगर तुम उदास हो तो सुलझने के चक्कर में दुखी हो सकते हो.. और अगर दुखी हो तो सुलझन एक और नई उलझन ला सकती है ,जो तुम्हे उदास भी करेगी।
कभी कभी तो तुम खुद ही नहीं जानते के तुम उदास हो या दुखी!

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