दिल भर गया है इस ज़माने से
बस तू लौट आ किसी बहाने से-
क्या मिलता है अब भी वो सादगी सा इश्क़
जो सारी उम्र रहता था
या
मुहब्बत की कहानी
सिर्फ जवानी तक आ कर रुक गई है-
इस इश्क़ की एक हद तय कर दो साहब
जिंदगी भर साथ जीने की लत लगाकर
लोग तन्हा मरने को छोड़ जाते हैं-
भेजा था उसने कोरा कागज
और ये बात डाकिये से कहलवाई थी
इंतज़ार है तुम्हारा कि
अब के मिलोगे तो कभी छोड़ कर न जाओगे
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बस....….
इतनी सी है मेरी प्रेम कहानी
जिंदगी के हर पन्नों पर इक तेरा नाम
और तन्हा जिंदगानी
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हम तुमसे
उस उम्र की
इश्क़ का वादा करते हैं
जिस उम्र में
सब साथ छोड़ देते हैं-
बहुत रात बीती
बहुत रात जागे
टूटे सपनों को सुला आई हूं मैं
बहुत ढूंढा तुम्हें पुकारा कई बार नाम तुम्हारा
तुम लौटकर नहीं आओगे
दिल को तसल्ली दे आई हूं मैं
ख्वाब़ अधूरे पर बहुत कुछ था
जो खोकर आई हूं मैं
आ जिंदगी अब गले लगाऊं तुझे
माॅं सी लोरीयां सुनाऊं तुझे
सुकून से सोना है अब बस
नींद की बिस्तर डाल आई हूं मैं
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कम उम्र की
वो नादानियां ही ठीक थी
कमबख़्त
जिम्मेदारी की समझदारी ने
जिंदगी का हाल अजीब कर रखा है-
वादों से मुकरे कोई फिर भी ...
हाथों को थामें रखना ...
इससे ज्यादा भी कोई शिद्दत से चाहे ...
तो भला कैसे ...-