हम तुमसे
उस उम्र की
इश्क़ का वादा करते हैं
जिस उम्र में
सब साथ छोड़ देते हैं-
बहुत रात बीती
बहुत रात जागे
टूटे सपनों को सुला आई हूं मैं
बहुत ढूंढा तुम्हें पुकारा कई बार नाम तुम्हारा
तुम लौटकर नहीं आओगे
दिल को तसल्ली दे आई हूं मैं
ख्वाब़ अधूरे पर बहुत कुछ था
जो खोकर आई हूं मैं
आ जिंदगी अब गले लगाऊं तुझे
माॅं सी लोरीयां सुनाऊं तुझे
सुकून से सोना है अब बस
नींद की बिस्तर डाल आई हूं मैं
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कम उम्र की
वो नादानियां ही ठीक थी
कमबख़्त
जिम्मेदारी की समझदारी ने
जिंदगी का हाल अजीब कर रखा है-
वादों से मुकरे कोई फिर भी ...
हाथों को थामें रखना ...
इससे ज्यादा भी कोई शिद्दत से चाहे ...
तो भला कैसे ...-
वह ग़लत नहीं है
बस ...............
मैं उसके हिस्से की कहानी से अंजान हूं-
सोचा था सुकून की जिंदगी जिऊंगी
तेरी तरह
मैं भी तेरे जाने के बाद
पर......
कभी ख्यालों में भी नहीं आया
कि ये इश्क़ दुबारा करु-
कह सकते हो पागल मुझे
मैं फ़रवरी वाली मुहब्ब़त के ज़माने में
सारी जिंदगी का इश्क़ किए बैठीं हूं-
हाॅं मेरे कदम कुछ बहके बहके से है आज
मैं अपना घर छोड़कर तेरी चौखट पर आया हूं
पर तुम्हारी कसम मैंने शराब नहीं पी-
फ़क़त.........
उसकी जिंदगी में सारे किस्से
मैं मेरे हिस्से से जुड़ा चाहती हूं-