मैं तुम्हें कोई सांत्वना नहीं दे रहा ,हम दोनों ही समझदार हैं
जिसका मूल्य चुकाया नहीं जा सकता ,
ये उसका भी प्रयास नहीं है,
ना..ही मैं तुमसे श्रेष्ठ की प्रतीक्षा में हूं,
आत्मा एक विशाल और ताकतवर शरीर भी चुन सकती है...फिर भी
वो तितली और मछली होना चुनती हैं
ताकि वह जीवन से सरलता और सौम्यता भी सीख सकें मुझे मालूम है
धन्यवाद... तुम्हें देने के लिए काफी छोटा और क्षमा
तुमसे प्राप्त करने के लिए .....सबसे बड़ा है
मैं तुमसे प्रेम और संवेदना लेकर जा रहा हूं..
मेरी यात्रा अब भी अधूरी है
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