sonam KUMARI   (Sonam soil)
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Joined 22 January 2021


Joined 22 January 2021
28 APR AT 18:03

और फिर..... एक दिन हम
अपने जीवन के सबसे खूबसूरत क्षणों को याद करके
जी भर के रोते हैं

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22 APR AT 11:53

तुम..
मेरी मनगढ़ंत कहानियां
सुनकर क्या करोगे?
जब तुमने
असलियत
के आगे
उदासीनता रखी है

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19 APR AT 20:38

....

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2 APR AT 22:21

अपने नरम प्याले
से छलकते 'मद'
अपने जाहिरा...ए.. पे
इतना गुमान ना कर ,

शराबी को मालूम है
किसका नशा
कब तक चलेगा..??

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16 MAR AT 0:09

यकीनन मसला रहमदिली का होगा
या न्यायकर्ता के न्याय का कोई
उत्कृष्ट पक्ष....कि
ईश्वर जिन्हें कोख में औलाद नहीं देता
उसके सीने में बड़ी जगह रखता है दर्द समेटने को

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15 MAR AT 23:55

मैंने मौन चुना है ताकि तुम जानो
सुख और दुख दोनों अब मुझसे कोसों दूर है

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5 MAR AT 12:19

एक दिन...
दुनिया भर की
सारी थकावटों के बाद
ही सही
हम उस निष्कर्ष पर पहुंच ही जाएंगे जिस पर
हम दोनों सहमत हो सकेंगे
कि ....हां! यही हो सकता था
यही जायज था
यही होना था
फिर ,
अपनी-अपनी खूंटो से बंधी रस्सी की आखिरी क्षमता तक
जाए बिना
हम ये सोचेंगे
कि हम आजाद थे
शायद ...हम आजाद थे ..??
और
उस दिन तुम्हें समझ आएगा
जान
कि कुछ जिंदगियां
यूं भी गुजरती है..

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22 JUN 2023 AT 7:21

मेरे पूछने पर...
कि क्या लाए हो..???
जहर की तासीर लाया हूं ,
इकबाल गुलजार साहिर ....सब
चख लिए,
इश्क
जहर ही तो है..
ले आओ! ले आओ!

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24 APR 2023 AT 11:14

मैं तुम्हें कोई सांत्वना नहीं दे रहा ,हम दोनों ही समझदार हैं
जिसका मूल्य चुकाया नहीं जा सकता ,
ये उसका भी प्रयास नहीं है,
ना..ही मैं तुमसे श्रेष्ठ की प्रतीक्षा में हूं,
आत्मा एक विशाल और ताकतवर शरीर भी चुन सकती है...फिर भी
वो तितली और मछली होना चुनती हैं
ताकि वह जीवन से सरलता और सौम्यता भी सीख सकें मुझे मालूम है
धन्यवाद... तुम्हें देने के लिए काफी छोटा और क्षमा
तुमसे प्राप्त करने के लिए .....सबसे बड़ा है
मैं तुमसे प्रेम और संवेदना लेकर जा रहा हूं..
मेरी यात्रा अब भी अधूरी है

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6 APR 2023 AT 23:32

जो अपने अधिकार में हो तो
ईश्वर पर की अपनी अनगिनत रचनाओं के परिणाम में मांग लूं
दो कील ठुके आसमान के दो कोनों में....
जिसमें लगे हो दो अनंत लम्बी रस्सियां
बांधकर जोड़ दिया जाए एक झूला
और
इस अनंत यात्रा में ..आकाश की विस्तृती में मेरे साथ बढता
वो इतनी तीव्रता से आगे बढ जाए
कि पीछे आ जाने की संभावना तो हो किंतु लौटते जीवन बीत जाए ,
जो कुछ लौटे भी तो
अदृश्य एकांत...और आवकाशित मैं
मुझे
अतीत फिर से खींच लेगा इस भय से मुक्त होना है
तुमसे मुक्त....

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