Sonali Srivastava  
7 Followers · 8 Following

Joined 22 May 2020


Joined 22 May 2020
2 JUL 2022 AT 18:36

न जाने कब मंजिल के तलाश
मे सफ़र से मोहब्बत हो गई
वो भी इतनी की जाने मंजिल
कहां नाराज बैंठी हैं।।

-


27 JUL 2021 AT 19:11

मुझे सबकुछ नहीं चाहिए‌
बस‌, मुझे‌ अपने हिस्से का
सबकुछ चाहिेए











-


25 JUL 2021 AT 16:32

ये बारिश ‌......
भी कुछ रूठी लगती हैं
मुझे भिगाय बीना ही लौट गई
अब ना जानें किसको भिगाया होगा
मेरे हिस्से के बारिश से।








-


20 JUN 2021 AT 16:15

चलो जरा खुद को
खुद के काबिल बनाया जाए
कुछ खामियां निकाला जाए ,
कुछ खूबियां सवारा जाए
उस मंजिल को पाया जाए
जो मेरी है‌।

राह मुस्किल होगी,तो राहों
में फूल किसको मिले हैं
सुगंधित पुष्प कमल वो भी
तो कीचर में ही खीले है।

‌बस तुझे रूकना नहीं है
इन खामीयो के आगे
‌ झुकना नहीं है, फिर तु
नहीं तेरी खूबियां सवारेगीं
तुझे, फिर हर मंजिल
तेरी होगी जो तेरी हैं।।


-


1 JUN 2021 AT 1:20

क्या सिर्फ हासिल कर लेने से
मुकबंल हों जाती है मोहब्बत,
लेकिन कहानी वो भी है पुरी
जो अधुरी हैं ‌‌।।

-


30 MAY 2021 AT 14:47

मैं पत्रकार हूं
ना मैं पक्ष का हुं
ना मैं किसी विपक्ष का हुं
मैं केवल हिन्दुस्तान का हुं।।

-


29 MAY 2021 AT 23:28

ये अकेलापन और तेरी अनकही बातें
जाने कितने दिनों से महज़ इसी तरह
गुज़र रही है मेरी रातें।‌‌।

-


28 MAY 2021 AT 18:17


उठ चल न‌ई शुरुआत कर
फिर से एक प्रयास कर
तु उम्मीदो का साथ कर
मंजिलों के राह पर
चलते रह बेखौफ तु ,
‌ इस हौसलों के युद्ध में
तेरे पांव भी लड़खड़ागें
पर मानना मत हार तु
गिरना और संभलना
हि तो जीत का प्रमाण हैं
‌‌ ‌ ‌‌ शत्रु तेरे मार्ग में तु हि
बनकर आयगा , जो
खुद से तु जीत पायेगा
तभी तु एक योद्धा
कहलाएगा ।।

-


23 MAY 2021 AT 16:23

मेरी मां
मेरे सुलझे और अनसुलझे बातों का
अर्थ हैं तु मां
तेरे डांट के बिना मानों मेरा जीवन
जैसे व्यर्थ है मां
तेरे हाथों से बने खाने की खुशबू ही
काफी है मेरी भुख मिटाने को मां
भूल जाती हुं हर दर्द जब तु प्यार से
मेरा सर सहलाती है मां
मुश्किल वक्त में भी तु कहा हमें
हार मानने देती है मां
अब जाना कैसे एक मकान को घर
बनाती है मां
मैंने कभी कहा नहीं ,तु हमारी दुनिया है
तुझसे है हमारी दुनिया मां।।

-


19 MAY 2021 AT 13:26

ये बारिश ,
ये लहराती हवाये और गरजते बादल
मानो कुछ कहना चाहती है ,
उन सुखे दरख़्तो से जिन्हें किसी ने
कभी सिंचा हि नहीं ,उन बेलो से जिन्हें
जगंली कहा गया , उन से कहना चाहती
है बारिश की मैं हूं तुम्हारे लिए , और सदा
रहुंगी तुम्हारे लिए।
ये बारिश
ये चमकती बिजलीया , और नाचते मोर
मानो कुछ कहना चाहती है,
उन हजारों पत्थरों से जिन्हें किसी ने
तराशा नहीं , कभी प्यार से सहलाया नहीं
उन से कहना चाहती है बारिश की मैं हूं तुम्हारे लिए,
और सदा रहुंगी तुम्हारे लिए।।

-


Fetching Sonali Srivastava Quotes