*Mountain*.., मुझे ना मोहब्बत हो गयी है..., हाँ... तुमसे ही, तुमसे मिलना..., मुझे भाने लगा है, तुमसे बातें करना.., मुझे आने लगा है.., तेरी ऊचाई से.., तेरी उन चढ़ावाहट से..., तेरी उस हरियाली से.., मुझे इश्क़ हो गया है,, ले चल मुझे... साथ तेरे.. तेरे उन वादियों में.., ना रहना मुझे इन वादियों में..., तुझसे बेपन्हा इश्क़ है.., तुझसे वेपन्हा मोहब्बत है.
किसी को भूलने से पहले..., उसे पहले अच्छी तरह याद करलो, उस हर लम्हा को, उस हर पहलू को, उस हर यादों को, जो तुमने उसके साथ बिताये हो, फिर शुरुहात करो..., एक नयी जिन्दगी की.., एक नयी कहानी लिखो, एक नहीं पहेली लिखो, जिसमे तुम मुख्य.., किरदार हो....
जो हर किस्से का हिस्सा हो, हो हर समस्या का एक मशला हो, जो गमों में खुशियों का बर्षा करे, जो लबों पर हसीं का रौनक लाये, जो हर मजहब की गीत सुनाये, जो मुझसे अपनी हर बात बातये, जो आसमां पर होकर भी, धरती का एहसास दिलाये, जो फूलों को ना तोड़कर, अपनी मुस्कान से इज़हार करे, जो बादलों को भी.., बरसने की आश्वाशन दें, जो हाथों में हाथ लेकर नहीं, दिलों की मिलावट को चुने, वों अलग हो, ना मिलावट हो, ना गिरावट हो, वों सजावट नहीं चाहिये, बस होठो पर..., आँखों के मिलते ही.., एक हसीं की सिखावट चाहिये.