Sonali Gupta  
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Love to write,
Being a teacher like to speak,
Day Dreamer
InstaId:-sonaligupta8318
Joined 6 December 2019


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11 NOV 2021 AT 21:46

अब मैं तुम्हे...,
भूलने सी लगी हूँ...,
पुरा ना सही..,
आधी-सी लगने लगी हूँ..,

अभी भी होती है..,
जिक्र तुम्हारी..,
होने लगी जज्बातों में..,
फिक्र तुम्हारी.

फर्क तों ना पड़ा..,
जाने से तुम्हारे..,
पर अब फर्क पड़ने लगा..,
भूल जाने से तुम्हे.

ज्यादा ना सही..,
थोड़ा-तुम भी सोचते होंगे..,
पुरा ना सही...,
आधा इस नाजीब क़ो याद तों करते होंगे.

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10 OCT 2021 AT 9:25

भागते-दौड़ते जिन्दगी में..,
एक अजब पहचान मिली..,
सौ रिश्तों के वजाय..,
एक नयी-सी जान मिली.

तलब थी जिसकी..,
उसकी शान मिली,
भागते-दौड़ते जिन्दगी में,
एक अजब पहचान मिली.

कुछ-भी वेवजह ना था..,
कुछ-भी ना तकल्लुफ था..,
हर लम्हा एक मकसद था,
हर दफा एक आरजू थी.,

मिल-सी गयी थी..,
वों अधूरी मंजिल..,
मिल ही गयी थी..,
वों अधूरे सपने..,

भागते-दौड़ते जिन्दगी में..,
एक अजब पहचान मिली..,
सौ रिश्तों के वजाय..,
एक नयी-सी जान मिली.

-


5 SEP 2021 AT 22:32

क्या करें...??
जब जिंदगी सताना ही बंद करदे?

क्या करे....?
जब जिन्दगी रुलाना ही बंद करदे?

क्या करे....?
जब आँखों में आसूं ना बचे..?

क्या करें...?
जब लबों पर हसीं ना रहे...?

भावों को बतायेगे कैसे...?
आखों में नमी लायेगें कैसे..?

वेवजह-सी जहाँ होंगी...,
हर लम्हा तन्हा होंगी....,,

आँखों में ख़ुशी...,
पर ओठों में रूखी होंगी.

बातों में मिठास...,
पर लबों पर खटास होंगी.

कुछ ऐसी बेरुखी सी होंगी दुनिया...
जहाँ फासले ही फासले घनी होंगी...

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4 SEP 2021 AT 20:49

वेवजह ही हताश हो...,
तुम मेरी तालाश हो...,

ख्वाबो को बुनने में..,
तुम खुद बेबुनियाद हो...,

छोड़ो भी ये लड़ाई..,
जो छेड़ी है तुमने खुदमे...,

दो पल की ख़ुशी के लिए..,
तुम बर्षो से उदास हो...,

नया-सा है ये हर दिन...,
फिर भी तुम पुराने में परेशानँ हो.,

आँखों में ये चुबन कैसी..,
कैसी ये उबन है...,

छोड़ो....,
ये दिलों का लगाना...,
सारे झूठे-फरेबी है...,

वक़्त को वक़्त दो..,
वक़्त के साथ बदलेंगी...,

बस लम्हों लो इतबार करो..,
ये तुमसे से ही सबरेगी...,

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28 AUG 2021 AT 22:40

जिसमे दर्द ना हो..,
वों जख्म नहीं,

जिसमे आंशू ना हो..,
वों आँखे नम नहीं,

जिसमे भरोषा ना हो..,
वों रिश्ते नहीं,

जिसमे दिल्लगी ना हो..,
वों मोहब्बत नहीं,

इसी तरह..,
जिसमे दर्द,आसूं,जख्म और मुश्किलें ना हो...,
वों जिन्दगी नहीं.

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24 JUL 2021 AT 17:14

कभी-कभी.....,
नजदीकियां भी...,,,
फासले की वजह बनती है

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18 JUL 2021 AT 18:33

*Mountain*..,
मुझे ना मोहब्बत हो गयी है...,
हाँ... तुमसे ही,
तुमसे मिलना...,
मुझे भाने लगा है,
तुमसे बातें करना..,
मुझे आने लगा है..,
तेरी ऊचाई से..,
तेरी उन चढ़ावाहट से...,
तेरी उस हरियाली से..,
मुझे इश्क़ हो गया है,,
ले चल मुझे...
साथ तेरे.. तेरे उन वादियों में..,
ना रहना मुझे इन वादियों में...,
तुझसे बेपन्हा इश्क़ है..,
तुझसे वेपन्हा मोहब्बत है.

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20 JUN 2021 AT 7:35

किसी को भूलने से पहले...,
उसे पहले अच्छी तरह याद करलो,
उस हर लम्हा को,
उस हर पहलू को,
उस हर यादों को,
जो तुमने उसके साथ बिताये हो,
फिर शुरुहात करो...,
एक नयी जिन्दगी की..,
एक नयी कहानी लिखो,
एक नहीं पहेली लिखो,
जिसमे तुम मुख्य..,
किरदार हो....

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15 JUN 2021 AT 13:51

मंजिलों के सफर में,
अपनों को खोया,

मंज़िल मिलने से रही,
अपनों से भी हाथ धोया,

लबों पर प्यास थी,
पर मंज़िल की तलाश थी,

थोड़ी धूप थोड़ी छाव थी,
थोड़े रस्ते भी कठिन थे,

हमसफर बनकर चल दिए,
सफर के लिए,

सफर थोड़ी खटास थी,
थोड़ी मिठास थी,

चलते-चलते पहुंच गए थे,
करीब मंज़िल के,

बस थोड़ी ही दुरी थी,
पर थोड़ी नाराजगी थी,

मंजिल मिल गया था स्वर्ग का,
जो हद से ज्यादा था खूबसूरत,

थोड़ी मौत- सी डरावनी थी,
थोड़ी जिन्दगी की अधूरी कहानी थी.

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13 JUN 2021 AT 9:56

जो हर किस्से का हिस्सा हो,
हो हर समस्या का एक मशला हो,
जो गमों में खुशियों का बर्षा करे,
जो लबों पर हसीं का रौनक लाये,
जो हर मजहब की गीत सुनाये,
जो मुझसे अपनी हर बात बातये,
जो आसमां पर होकर भी,
धरती का एहसास दिलाये,
जो फूलों को ना तोड़कर,
अपनी मुस्कान से इज़हार करे,
जो बादलों को भी..,
बरसने की आश्वाशन दें,
जो हाथों में हाथ लेकर नहीं,
दिलों की मिलावट को चुने,
वों अलग हो,
ना मिलावट हो,
ना गिरावट हो,
वों सजावट नहीं चाहिये,
बस होठो पर...,
आँखों के मिलते ही..,
एक हसीं की सिखावट चाहिये.

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