आप मुझे ही नहीं
पीयूष मिश्रा के गाने भी पूरे करते हो
जिसे मैं गुनगुनाने की प्रक्रिया में
पूरी होती रहती हूं
एक पूरा चांद नहीं चाहती
मैं जानती हूं कि
पूर्णिमा के अलावा भी चौदहों दिन
चांद पूरा रहता है
केवल सूर्य की प्रतिछाया ही नहीं
उसे अंधेरा भी पूर्ण करती है
मेरे अपने!
आप मुझे अंधकार से भी
पूरा करना
मैं सदा दीप्त नहीं
सदैव पूर्ण रहना चाहती हूं।
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११अक्टूबर २००० को जन्म लिया,,,
०२अक्टूबर २०१८ को पुनर्जन्म लिया... read more
तुमने चांद से लंबी प्रतीक्षा की है
तुम्हारी प्रतीक्षा मुझे एकेश्वर वादी बना रही है
मेरे ब्रम्हांड में एक ही चांद है
हज़ारों हज़ार धूमकेतु
पंछी, आकाश , बादल, लोग बाग
सभी धूमकेतु हैं
जब तुम आधे होते हुए दिखते हो
मैं तुम्हें साफ़ देख पाती हूं
मेरा अंधकार तुम्हें लील रहा होता है
और तुम अंधकार को पोंछकर
फिर फिर आते हो
तुम्हारी प्रतीक्षा मुझे थोड़ा और मानव कर रही है
यदि मानवीय नाता ना जुड़ सके
औंधे मुंह धरती बन तुम्हें देखना चाहती हूं
तुम्हें एकटक देखना भी
मुझे छांह और अर्थ देता है।-
तुम्हारे जाने का अहसास
तुम्हारे आने सा लगता है
जब तुम मुड़ कर
लड़खड़ाती आंखों से
मेरे कानों में
रख जाओ
अपने जाने की बात।-
दस गज के दिल में धड़कता
ओज और जज़्बा है हमारा;
सादगी की लिहाफ में लिपटा
' बसना '
एक छोटा कस्बा है हमारा।-
मुश्किलों के अग्निकुंड में
थोड़ी और हिम्मत झोंको
लहरें उजाड़ दें तो क्या?
घरौंदे बनाना मत रोको!
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पुरानी कलम के टूटने से पहले
पतंग का धागा छूटने से पहले
दौड़ती, भागती, नज़रें चुराती मुस्कान को
रोकना होगा
रोकना होगा
ताकि
बच्चे का कपास मन
खारे पानी से
हो ना जाए तरबतर।
मोनू की मां भागती होगी
उस लाल बत्ती की गाड़ी के पीछे
मगर गाड़ी की रफ्तार
ज़रूर बढ़ गई होगी!
मोनू की मां
अंजुली भर सपनों को
छोड़ आयी होगी
सड़क के गड्ढों और ढर्रों पर!-
जिजीविषा का प्रश्न हो
तो
जीस्त जरा से लड़ लेता है
शब्द तहज़ीब में ना हो
तो
मौन तमाचे जड़ देता है
लिबास चीखता है
इतराता है
हुनर शांत बैठकर
मुस्कुराता है-