मिट्टी का वो आँगन और धूप की पहली किरण,
चिड़ियों का चहचहाना और वो खूबसूरत वातावरण।
ऐसे मनमोहक दृश्य में ही तो,
विराजते हैं भगवन।
मंदिरों में घंटियों और शंखनाद की दैवीय ध्वनि,
पावन कर देती है मन
और ऐसा लगता जैसे पाप मुक्त हो गए,
पूरे सात जन्म।
धूप की हल्की किरण में,
कच्ची सरक पे खेलता हुआ वो बालक
जब मिट्टी में गिरकर मुस्कुराता है,
उसे देखकर फ़िर से लौट आता बचपन।
कहने को तो शहर के
रहने वाले हैं हम।
पर असलियत में तो,
गाँव जाकर ही लौटता है मन!
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