उलझने बढ़ती रही, में झेलती रही
वक्त ने मैदान मे उतारा, मे खेलती रही।
लोग कहते रहे तु पागल हो जायेगी,
मे सबकी बातें सुनती रही।
अपने सपने मन मे दबाकर, आगे चलती रही।
इनलोगो को कैसे बताऊँ, की जब वक्त बदलेगा
तब मे नही मेरा विश्वास बदलेगा।
फिर ये पागल 2-4 पन्ने नही पुरा इतिहास बदलेगा।-
अश्क भर कर आँखों मैं, तु हर दफा मुस्कुराती है
तब कही इस जग मैं तु, नारी कहलाती हैं।
भूलकर खुशियाँ अपनी, ओरो के लिए मुस्कराती है
तब कही इस जग मैं तु, नारी कहलाती हैं।
हा हैं ख्वाब कुछ तेरे भी, पर दूसरो के खुशियों के लिए
अपने ख़्वाब तक भूल जाती हैं
तब कही इस जग मैं तु, नारी कहलाती है।
मिटा के अस्तितब् अपना, तु नए प्राणी को
प्राण दे जाती हैं
तब जाके इस जग मैं तु, नारी कहलाती हैं।
शिकार बन किसी की कुरुरता का,
तु ही गलत मानी जाती हैं
तब कही इस जग मैं तु, नारी कहलाती हैं।
दे देती हैं तु जिंदगी अपनी,
इस पुरुष प्रधान समाज को
तब जाकर इस जग मैं तु, नारी कहलाती हैं।।
Happy mother's day
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अँधेरा है दिल मैं
तुम रौशनी दिखाओगे क्या
चले गए सब छोड़कर मुझे
तुम साथ निभाओगे क्या
जरूरत है मुझे ठिकाने की
दिल मे मुझे तुम बसओगे क्या
आरजू होती है मन बहलाने की
मेरे लिए कुछ गुनगुनाओगे क्या
पत्थर की तरह हो गया है ये दिल
इस पत्थर को प्यार कर पाओगे क्या-
Kuch dino se bara pareshan hu mai
Khud ke liye bhi ab anjaan hu mai
Kuch dino se bara pareshan hu mai
Khud ke liye bhi ab anjaan hu mai
Har din har raat khamosh rehti hu
Kbhi kbhi toh lagta hai kabristaan hu mai..-
Mai kon hu
Mai kya hu
Mai kaise kahun
Mai barbad hu
Par aabad hun
Mai adhura sa
Pr vo shksh
mujhme pura h
Mai dhlti saam sa
Vo uugta savera hai
Mai bhatkta mushafir
Vo raahtein manjil h
Mai hu agr dard toh
Vo mera davaa hai
Ki mai hu agr ibaadt
Toh vo mera khuda hai.....-
सिकस्थ मिली है हर बार ज़िन्दगी मैं
हारी हुइ हूं पहले से
सिक्स्थ मिली है हर बार ज़िन्दगी मैं
हारी हुइ हूं पहले से
बस ले जाकर दफना दो जिस्म को मेरे
मारी हुइ हूं पहले से।।-
बड़े करीब से देखा है मौत को मैने
बड़े करीब से देखा है मौत को मैंने
यू ही नही खामोश फिरा करती हूं
अब गैरो से गिला सिकवा कैसा जनाब
अब तो नफरते मैं अपनो से
महसूस किया करती हूं.....-
Khud ko sahi sabit karte karte
Badnaam ho gaye
ab issai jyada kya karenge hm
Tanha rehna sikh liya h dil ne
Ab koi chod bhi jaaye andhere mai
Toh nahi darenge hm
Aur logo ki nazron se girne ki
Itni aadat si ho gayi hai
Ki aasaman se bhi gir jaaye
toh nahi marenge hm...-
आखिर क्यूँ!
वह रोता है
जो दूसरों को हँसी देना चाहता है
वह मिटता है
जो दूसरो को बनाना चाहता है
वह लुटता है
जो सब कुछ देंना चाहता है
वह ठगाता है
जो सच्चाई के राह पर चलता है
आखिर क्यों?
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है मोहब्बत तुमसे सच्ची मगर
न जाने क्यूँ एतबार नही
खोयी रहती हु बस ख़यालो मैं तुम्हारे
और तुम केहते की प्यार नही
सोचती हूं कह दू सब रूबरू होकर
पर सामने हो तुम रहती मैं तैयार नही
गर मिलो कभी जांच लेना खुद ही
प्यार है बस कर पाती मैं इजहार नही।।-