कुछ ख्वाब है इन आंखों के,
उन्हे सच करने तुम आओगी क्या!
मुझे नींद नहीं आती तकिए पे,
मुझे अपनी गोद में सुलाओगी क्या!।
मैं सुनाऊंगा तुम्हें हर लिखी शायरी अपनी,
तुम मुझे अपनी सारी बाते बताओगी क्या!
मैं रोऊंगा हर गम में तेरी,
मेरी हर खुशी में तुम मुश्कुराओगी क्या!
मुझे तलब नही जिस्मों की तेरी,
अपनी रूह में मुझे बसाओगी क्या!
लोग छोड़ जाते है अकसर रहो में,
तुम ताउम्र मेरा साथ निभाओगी क्या!
कुछ ख्वाब है इन आंखों के, उन्हे सच करने तुम आओगी क्या....!!
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