उसे याद करूं तो आंख नम,
भूलना चाहूं तो कई उम्र कम
मैं अभी जिंदा हू की मर गया,
सच है या बस मेरा कोई वहम।
सोमेश सिंह
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हम अपने शहर अपने गांव जा रहे है,
कुछ दोस्त पुराने बहुत याद आ रहे है।
इतनी मासूमियत से मत सुन मेरी बातों को,
ये वो झूठ है जो हम सबको बता रहे है।
somesh-
आज हम उसकी महफिल से जा रहे है,
रस्म ए अलविदा तहजीब से निभा रहे है,
अब मिलना मुमकिन नही इस ज़िंदगी में,
ये बात हम उसे कैसे बताए,
जो बात हम खुद से छिपा रहे है।
सोमेश सिंह-
खयाल जब भी,तुमसे बिछड़ने का आता है,
मेरे यार, मुझे खुद पर,गुस्सा बहुत आता है।
ना मिलने की तमन्ना है,ना दूर रहा जाता है,
भीड़ में चलता हूं,मगर सफ़र तन्हा जाता है।
मां बाप से बिछड़ के जो शख्स कभी रोया नहीं,
उसे अब तुमसे बिछड़ने का सवाल भी रुलाता है।
कमबख्त कैसी अजीब दोस्ती हुई है खुदा मुझे,
खुद की खुशी से पहले,खयाल तुम्हारा आता है।
somesh singh-
उसका चेहरा भी ठीक से हमें,अब याद आता नहीं,
नाम से जिसके कभी हमारी सुबह हुआ करती थी।
मेरे बुलाने पर भी,अब वो मिलने नही आती है
जो कभी खुद हमसे मिलने की दुआ करती थी।
उसकी रेशमी जुल्फे अब कभी खुला नही करती
जिनसे उलझने को उंगलियां,मेरी दगा करती थी।
अब छनकते नही,घुघरूं उसकी पायल के कभी
जो मुझको जगाने वजा बेवजह,सदा करती थी।
अब निकलती नही वो,तेज़ बारिशों में भी कभी
जो हल्की फुहार में भी बस,भीग जाया करती थी।
ऐसा लगता है,अब वो लड़की है ही नही,इस जहां में,
जिससे मिलने की ख्वाइश,मेरी नीदें भी किया करती थी।
सोमेश सिंह
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तल्खी बातों में इतनी भी अच्छी नहीं "सोमेश"
किसी को अपना भी कहो,तो उसे पराया सा लगे।
सोमेश सिंह-
मुकद्दर की बातें कौन करे,
खुद से अधूरी मुलाकातें कौन करे,
करना ही है तो कुछ काम न कर ले,
जो बातें दर्द दे,वो बातें कौन करें।
सोमेश सिंह-
इक लड़का था बेगाना सा,
खुद से ही मोहब्ब्त करता था,
ना मोल उसे था अपनों का,
ना अपनों पर वो मरता था,
अहसासों को क्या समझे वो
वो तो पैसों पर ही मरता था।
सारे ख्वाब थे उसके आसमानी,
हर पल ख्वाबों में ही रहता था,
इक लड़का था बेगाना सा.....,.
दुनियां के गम से,उसे क्या मतलब,
वो मौत के मजे लिया करता था।
पढ़ता ,लिखता, हसता,खेलता,
हर पल खुल के जिया करता था।
करता था अपनी मनमानी वो,
शैतानी बहुत ही वो करता था।
ना लिहाज उसे था,किसी उम्र का,
ना कभी किसी से वो डरता था।
ना कल की चिंता थी उसको,
ना आज को देखा करता था।
इक लड़का था मस्ताना सा ,
कभी मुझमें ही रहा करता था।
सोमेश सिंह
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ना कोई सवाल होगा ना कोई जवाब होगा,
जो भी होगा अब मेरे बाद होगा।
सोमेश सिंह-
तेरे रास्तों में चलते चलते,रूक जाता हूं,
मानता नही दिल मेरा,मगर बहलाता हूं,
तुझे खोजता हूं,देखता हूं,पलट जाता हूं,
कुछ इस तरह,मैं तुझसे वफा निभाता हूं
सोमेश सिंह
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