कोई तो शख़्स ऐसा हो जो पूछे मुझसे कि कैसे हो तुम
किसी की तो बाहों में पलकों को भीग जाने दूँ मैं
कोई तो मेरी नब्ज़ देख कर बता दे आख़िर मर्ज़ क्या है
किसी के तो सिरहाने नींद को बीत जाने दूँ मैं-
🙏 जय बाबा केदार 🙏
❤️ जय गढ़वाल ❤️
❤️ जय उत्तराखंड ❤️
मेरे भोलेनाथ सा सुन्दर ना कोई आदि शक्ति सा कोमल है
भोले की धूनी सोना है बाकी जग सारा पीतल है
इस मृत्युलोक में नहीं कोई ना स्वर्ग में कोई वर्णित है
भोले के चरण कमल सरीखा ना कोई जग में शीतल है-
ना पता मुझे समर्पण क्या, बस मीरा के प्रेम को जाना है
राह ताकने की कोई ख़बर नहीं, बस शबरी के सब्र को
जाना है
सकल चराचर में भले हो कई अधिक उससे भी सुंदर
किसी की आभा नहीं भाती बस उस एक सूरत को पहचाना है-
सुनो ना भोले.. अगर मैं कभी कुछ मांगूंगा तो.. दिला दोगे क्या
नींद ना आए जो रात में कभी तो अपने चरणों में थोड़ी सी जगह दोगे क्या
एक मुस्कुराता चेहरा मेरी आंखों में भी मुस्कुराहट जगा देता है उसे संभालना
उस चेहरे पर कभी आँसू आने को हो तो मेरी इन आँखों तक पहुँचा दोगे क्या-
उस शाम ज़िंदगी से ज़रा मुलाक़ात हो गई
एक पल को सही मगर बात हो गई
इस जन्म में कहीं फ़िर वो शाम आए ना आए
उस पल की कहानी जन्मों की सौगात हो गई-
ना ही फ्योंली में मिली.. ना बुरांस में ही खिली
ना बुग्यालों में वो मखमली ना पंदेरों में वो छली
जो छाया उसकी काया उसकी माया में छिपी
ना सरुली में दिखी ना राजुला में ही मिली
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दिसंबर की इन सर्द रातों में.. शॉल तो वो ओढ़ती होगी
कुछ ख्वाबों को जीने के बाद.. उस नींद को वो छोड़ती होगी
हाँ मुस्कराहट उसके चेहरे का सबसे खूबसूरत शृंगार है
और मेरी मुस्कराहट की बात.. उसे इतनी फुर्सत थोड़ी होगी
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हाँ मुझे खुद से ज़्यादा इन पहाड़ों से प्यार है
मेरे लबों पर भी बस इसी के गीतों का ख़ुमार है
हर रात इसी के ख्यालों में खो जाता हूँ
हर दिन भी सिर्फ़ इसी पर जान निसार है-
भोले को गौरा भी जब जन्मों तक कहीं मिली नहीं
उस सन्यासी के जीवन में प्रेम की ऋतु भी खिली नहीं
हम छोटे से इंसान को भी फिर खोने पाने का डर क्यों है
जब फ़िर से द्वापर आना है कलयुग बीत जाने का डर क्यों है-
कण कण में शिव हर क्षण में शिव
हर आदि में हर अंत में शिव
क्या मृत्युलोक क्या स्वर्गलोक
पाताल के भी अनंत में शिव-