कि यादों को अब तेरे खुद से मिटाने लगे हैं,
तू नही है अब ये दिल को समझाने लगे हैं। बहुत फक्र था तुझ पर हर पल हर जगह,,
कि नादानियों से हम तेरे अब दूर जाने लगे हैं।।-
*मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन के अतिविविध स्तर व समारंगन में किताबें, हमारे सोच सह विचारों को दशा व दिशा देती है, और हमारे जीवन के विभिन्न पलों में साथ देकर हमें खुद पर, एक तरह से दूसरों पर, परिवार पर, समाज पर, संस्थान पर, और राष्ट्र पर बोझ बनने से बचाती हैं। और जीवन के हरेक संभावब्य में विचार व अनुभव देकर हमें कृतार्थ करती है, और हमें हर पल क्रियाशील रूप में रहने को प्रगतिशील करते रहती हैं।*
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जाने कब से बेगाने से थे हम,
अब दिवाने से हो गए है हम,
तेरे संग जिंदगी के कुछ पल नहीं,
पर जिदंगी के हर पल पहर शहर,
संग तेरे बिताने की ख्वाहिश है हमें।।-
कहते हैं कि जब आप जिस दिन को इस मृत्युलोक में मानव रूप में अवतरित होते हैं, तो जीवन के शुरूआत से लेकर अनंत तक, हमसभी को ईश्वर के विभिन्न रूपों का जीवन के अनेकों समय पर कृपावचन मिलते रहते है। जिससे हमसभी जीवन के हर कठिनाइयों को कुशल सहसवार के तरह संवारते हुए आगे बढ़ते है। और जन्म लेने के उद्देश्य को सार्थक रुप में परिणति प्रदान करते हैं, साथ ही इतिहास में अपने आप को विद्यमान विराजते हैं।
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ऐ जमाने वालों ! ऐ दुनियावालों !!
सुन रहे हो अगर, तो जरा सुन लो!
ना जाने क्यों, तेरे अनगिनत रंग _रूप है!
आखिर तू कितने बार बदलेगा!
जरा रुक, थम और सोच_विचार कर,
अगर सही लगे तो फिर साथ चल,
अगर गलत लगे तो मिलके सुधार कर,
तू बढ़े, मैं बढूं और फिर जग बढ़ें।-
इस हर पल बदलते दुनियां में जो इन्सान बहुमुल्य सपनों के लिए, अपने सदृश वर्तमान को नहीं बेच सकता, तो वह इन्सान कभी भी अपना बेमिसाल भविष्य नहीं खरीद सकता है। तो जरूरत इस बात का है कि, तन मन धन से वर्तमान में लगन व मेहनत से कार्य_करणों को करते हुए, भविष्य को संजोने में लग जाएं और साथ ही इस धरा पर अपने जन्म लेने के सार्थकता को साबित करें, और तब फिर प्रस्थान करें।।।।।
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जब दांव पर लगे हों सर्वस्व, तो हम रुक नहीं सकते।
बिना शुरूआत किए, हम रास्ता तय कर नहीं सकते।
चाहें रास्ता कितना भी हो कठिन किन्तु, हम लक्ष्य लिए बिना लौट नहीं सकते।
चाहे कुछ भी हो हालात लेकिन, हम लक्ष्य पाए बिना सरपट नहीं सकते।-
कुछ हवाएं बारे में तेरे फिजाओं में तैर रहे,
मन ही मन जो हमको विचलित कर रहे,,
कुछ आशा ही नहीं बड़ी उम्मीद है आपसे,
आप आजाद विचारों के स्वतंत्र आवाज बने।-
फिर से जीने की तमन्ना जाग उठे,
कुछ विशेष करने के उत्कंठा हो उठे,,
ये साल बीते यूहीं तो क्या हुए बस सीखें मिली,
आने वाले है जीवन के अनमोल सालें,
नए तराने बरसेंगे सुहाने सपने बिखेरेंगें।।।।-
ढेर सारे चर्चाएं करनी थी तुमसे,
मिल बैठ के गॉसिप भी करने थे,
एक तुम होते और एक मैं होता,
कुछ हसीं ठिठोली भी खूब करते,
सुनते बीते दिनों के नादानियां तेरी,
सुनाते किस्से कहानियां अपनी तुम्हें,-