बस करो बीमारियों और परेशानियों का रोना
क्या तुम्हें नहीं लगता यह सब कुछ
तुम्हारी वजह से हो रहा ,
मां प्रकृति पर जुर्म करने में तुमने कोई कसर नहीं छोड़ी
और अब बोल रहे हो यह गर्मी हमसे सहन नहीं हो रही
कभी A.C., पंखे, कूलर से बाहर निकल कर
खुले आसमान में भी टहल लिया करो,
थोड़ी बिजली बचाकर refrigerator के पानी
की जगह मटके का पानी भी पी लिया करो ,
बाहर से आते हो तो घर आते ही पानी मांगते हो
और अगर ठंडा पानी न मिले तो
दूसरों पर गुस्सा निकालते हो ,
पंछियों के लिए ठंडा नहीं तो गर्म पानी ही रख दिया करो ,
packet की चीजें खा- खा कर कूड़ेदान तो भर दिए
कभी एक पेड़ लगाकर ताजे फल ही खा लिया करो ,
माना तुमसे प्रकृति की सेवा नहीं होती
लेकिन जो प्रकृति के लिए एक कदम उठा रहा है
कम से कम उसको साहस ही दे दिया करो!!
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