Somanshu Priyadarsi   (प्रियदर्शी)
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Joined 24 February 2017


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Joined 24 February 2017
19 MAY AT 0:46

,
किसी अंजान की तरह,
रहते भी थे तुम इस दिल में,
मेहमान की तरह,
महफिल में कोई दे रहा है,
तेरे वादों की दुहाई,
कोई दीवाना फिर से पागल हो रहा हैं,
नादान की तरह...

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18 MAY AT 14:32

में जकड़ी,
युवा प्रीत की मीत,
जो संघर्षों का मोल ना जाना,
तो कैसे होगी जीत।।

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16 MAY AT 1:45

ख्वाब से दूर हैं, याद से दूर हैं,
नाम पन्नो से अब, उसका बेनूर हैं।
फिर भी मुझको ये नींद, क्यों है आती नहीं?
मन परेशान क्यों, चैन आता नहीं,
सूखे कागज पड़े, स्याही भाता नहीं,
जो भूला जाता ना था, अब याद आता नहीं...

दर्द की बात क्या, क्या कहे वो सितम,
देखते थे जो वो अपने जाते सनम।
बंधनों मे वो बंधे, अग्नि के सामने,
उसकी लौ में जो जला हैं, बुझ पाता नहीं,
राख हैं जो गंगा में, बह पाता नहीं,
दिल से जाता था ना जो, अब याद आता नहीं।।

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16 MAY AT 1:21

,
जिसकी उलझने कुछ खास हैं,
कभी चाहत में नासाज़ हैं,
कभी तन्हाई से हम-साज़ हैं।।

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24 OCT 2024 AT 0:05

दोनों, पूर्ण हो जाने को,
यूंही धरा व्याकुल नहीं रहती, कुछ बूंदों को पाने को।।

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23 OCT 2024 AT 0:31

कोरे आसमान के दामन में, वो शांत सलोना लगता हैं,
इन जज्बाती तारों को, तो चाँद खिलौना लगता हैं।

कोई अपने दिल की चाहत, कोई एहसासों की राहत,
कोई अपने रिश्ते नाते, कोई भूली बिसरी यादें,
सब की तलाश है चंदा पर, सब एहसास है चंदा पर,
इतने रिश्ते नातों में,किरदार तो बौना लगता है,
टूटे टुकड़े दिल हैं जितने, उन्हें चाँद खिलौना लगता हैं।।

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11 MAR 2024 AT 1:19

, निगाहें भीग न जाए,
नुमाईश दर्द की हो तो लोग, नमक रगड़ के जाते हैं।।

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25 JAN 2024 AT 1:52

इस तरह तेरे नज़रो से, नज़र चुराते हैं,
छुप छुप के बस तुझे ही, निहारे जाते हैं।
पलकें बंद कर के, तुम्हे पास बुलाते हैं,
और पलकें खोल कर, लफ़्ज़ों से, कागज़ पर,
तस्वीर बनाते हैं तेरी।।

हर एक हर्फ़ से, तस्वीर सजाते है तेरी,
सिहाई में घुल के, तस्वीर बनाते हैं तेरी।।

~ प्रियदर्शी

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17 AUG 2023 AT 2:00

उसकी शर्माती हँसी और लज्जाती आँखों ने,
एलान किया हैं,
कि "अभी" तुम पर उसका आ गया,
ये मासूम "जिया" हैं।।

~ प्रियदर्शी

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13 JUN 2023 AT 0:04

, और महरूम कर गए,
दोस्ती में इतनी मगरूरियत भी, अच्छी नहीं होता।।

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