जीवन किसी नाटक से कम नहीं है!
नायक तुम.. खलनायक भी तुम...
कथा भी तुम... संवाद भी तुम...
नवरस हो तुम... नीरस हो तुम...
सबंध हो तुम... स्वार्थ भी तुम...
दर्शन हो तुम... केवल प्रदर्शन हो तुम!
सत्य हो तुम... पर असत्य हो तुम...
सब कुछ हो तुम...
कुछ भी तो नहीं हो तुम!
क्योंकि जी रहे हो तुम... या जीने का अभिनय कर रहे हो तुम?-
Indian ❤️
लखनऊ ✨
New video out on the channel..
पूरे जहां में कुछ तो कमी है..
तेरे बिना ये सादा क्यूँ लगता है?
मुझसे मिलने वाला हर एक शख़्स..
तेरी याद दिलाने पर आमादा क्यूँ लगता है?
तेरा मिलना.. मिलते रहना.. मिल जाना..
तेरा भूला हुआ वादा क्यूँ लगता है?
ख़ामोशी मैंने बेच दी है तुझे अब तो..
फिर भी मेरे पास सन्नाटा इतना ज़ादा क्यूँ लगता है?
जाएं जहां भी जहां में.. लौटेंगे वहीं पर..
ख़ुदग़र्ज़ इतना हमारा इरादा क्यूँ लगता है?
क्यूँ लगता है!
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हमारे किरदार अब उस कहानी का हिस्सा नहीं..
जिस कहानी में कभी हर किस्सा हमारा था !-
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मेरी उम्मीद
तुम्हारे दरवाज़े पर रात भर दस्तक देकर सो जाती है..
और मैं...
ना-उम्मीद सा..
अपने दरवाज़े पर ज़माने को उम्मीदें बांटता रहता हूँ !-
तुम्हारा..
अजनबी से टीस बनने का सफ़र..
उम्र भर..
मैं करता रहूंगा .......-
वो एक शख़्स..
जो कभी हुआ करता था..
उसे तुमने ख़र्च कर दिया..
अब हर जगह 'टूटे चिल्लर' की तरह बंटता रहता है !-
मेरा ख़्वाब मुक़म्मल हो जाए.. ये भी एक ख़्वाब ही तो है..
मेरी ज़िन्दगी.. ज़िन्दगी बन जाए.. ये भी एक ख़्वाब ही तो है..
किसी की बेरुख़ी से कौन मरता है यहाँ..
फिर भी कोई हाल पूछ जाए.. ये भी एक ख़्वाब ही तो है..
वो कुछ बातें जो हमने कीं.. वो कुछ बातें जो न हो सकीं..
उन तमाम बातों का कोई हिसाब कर जाए.. ये भी एक ख़्वाब ही तो है..
न जाने कितने ही ज़िन्दगी में दाख़िल हुए.. न जाने कितने ही रुख़सत हुए..
बस.. वो गले लगाकर ठहर जाए.. ये भी एक ख़्वाब ही तो है..
वक़्त ने उनको कितना बदल दिया.. ये वक़्त भी नहीं जानता..
ये वक़्त उन्हें फिर से बदल जाए.. ये भी एक ख़्वाब ही तो है..
है अग़र ग़लती मेरी.. तो सज़ा मंज़ूर है..
मग़र कम से कम..
वो मेरी बेग़ुनाही की गवाही तो दे.. ये भी एक ख़्वाब ही तो है ..
इश्क़ नहीं.. तो नफ़रत ही हो जाए..
इस सफ़र में कुछ तो मुक़म्मल हो.. ये भी एक ख़्वाब ही तो है..
न मैं रहे.. न तुम.. सिर्फ़ हम हो जाए.. ये भी एक ख़्वाब ही तो है..
मेरी ज़िन्दगी.. ज़िन्दगी बन जाए..
ख़्वाब ही तो है..!
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Wo jo kehta hai ki usse ummeedein na rakho........
Kisi pagal ne saari ummeedein...
Usi ek shaqs se laga rakhi hain !-