इक लड़का इक लड़की से कौनसा चाँद, तारे,फूल ओर शबनम चाहता है
इज़्ज़त तो तुम करते नहीं ठीक है,
वरना वोह तो सिर्फ मिले उसको,थोड़ी बहोत तवज्जो यही तोह चाहता है-
.........par likhna b thik se nahi aata
हिज्र की राते कट चुकी कबका, तेरे सारे दर्द अपने गम में भर ले जायेंगे हम
होगी इक सुबह ऐसी भी 'साहिबा' जिसमें तुझे, सामने बैठा पायेंगे हम
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हम नहीं जानते की, इंतज़ार की घड़ियाँ कभी ख़त्म होगी केे नही
हम तो बस इतना जानते है की, ये जो मोहब्बत है ना हमारी आपसे वोह कभी कम होगी नही-
तुझसे दूर रहकर भी तेरे पास हूँ जैसा रहा हूँ मैं
कभी खफा तो कभी नाराज़ तो,कभी खुश खुदको ऐसे रखा हूँ मैं-
जिस रिश्ते पर ऊँगली उठनी शुरू हो जाये
ऐसे रिश्ते को, ख़त्म करना बेहतर होता है-
सुना है,केे इक दिन सबको छोड़ चले जाना है
तो
क्यूँ ना उस लड़की, को भी छोड़ दिया जाये-
ऐसा तोह हरगिज नहीं, केे ये चेहरा किसीको👰 kil ना किया होगा
किया होगा ज़रूर किया होगा
पर तुझसे मिलने केे बाद किसीसे, मिलने का दिल ना किया होगा-
देश की आजादी ,उनको भी मुबारक
जिनकी यादों केे👰 हम आजतक गुलाम हैं-
आजादी का जशन, मनाये भी तो कैसे
मेरा दिल तोह, अाज भी किसीकी चाहत का गुलाम है-