Sohrab Sheikh   ($oh₹@b $h£!kh)
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Joined 3 February 2019


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23 MAY 2020 AT 20:11

उदासी का असर न कभी तुझ पर हो,
ज़िंदगी भर तेरा सिर मेरे कंधे पर हो।

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20 MAY 2020 AT 9:45

न जाने क्यों तू इतना खास है,
मेहसूस होता, हर पल तू मेरे पास है।


पा लूं तुझे बस इतना आस है,
बिछड़ के तुझसे जीना न रास है।

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18 MAY 2020 AT 15:23

उन अल्फ़ाज़ों के लिए शर्मिंदा न होना पड़े,
जब भी नाराज़ होता हूं ख़ामोश रहता हूं।

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18 MAY 2020 AT 14:40

तेरी तारीफ में बस इतना कहना है मुझे,
कई जन्म भी कम है तेरे साथ जीने के लिए।

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19 SEP 2019 AT 0:15

तू मेरे इतने क़रीब होकर भी दूर है,
बस छू लूं तुझे इतना सा सुरूर है।

देख कर तुम्हे मेरी आँखें थकती ही नहीं,
लगा लूं गले से तुम्हे अब चढ़ा ये फितूर है।

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2 SEP 2019 AT 23:08

तुझसे मिलके उसकी कमी नहीं खलती है,
डर है कि तेरे बाद मेरा हाथ कौन थामेगा।

तेरी हंसी में उसकी मुस्कुराहट झलकती है,
तेरे बाद इन होठों की तबस्सुम कौन देखेगा।

तबस्सुम= मुस्कुराहट,

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27 AUG 2019 AT 21:14

ज़िंदगी में कुछ और पाने का मलाल न रहा,
दरमियां हमारे बाकी अब कुछ भी न रहा।

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25 AUG 2019 AT 20:40

बिन सिंगार वो हुस्न की मिसाल है,
बाद सिंगार वो खुद में एक मिसाल है।

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5 AUG 2019 AT 23:11

सरबसर ज़ख्म की मिसाल हूं मैं,
फिर भी हंस लेता हूं कमाल हूं मैं।

देर कर दी तुमने जवाब देने में,
अब किसी और का सवाल हूं मैं।
ताबिश,

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1 AUG 2019 AT 16:19

मुद्दतों बाद मिलन का वो घड़ी आया,
मिलने को गले मुझसे वो दौड़े आया।

फासले बहुत कम बचे थे दरमियां हमारे,
छूने को ही थे उसे के उसका अब्बा आया।

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