सपने नाजायज थे ,टूटने का मलाल कैसा
जब हम ही गलत हैं तो फिर बवाल कैसा
एक खयाल ही तो था हम दोनों के बीच में
तू परवाह मेरी मैं तेरी न करे तो सवाल कैसा
हम अपनी दुनिया में तुम अपनी दुनिया में
हा पूछ लेना कभी कभी, है हाल चाल कैसा
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इसी लिए हमको गहराई पसंद है😊
जिंदगी बट गयी , रिश्ते भी बट गये
कुछ बटा नहीं अगर तो, वो है माँ का प्यार
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कोई भी कार्य तभी तक कठिन है,
जब तक आप उसमें पारांगत नहीं हो जाते-
थक जरूर गया हूं, ऐ जिंदगी हारा नहीं हूं मैं
मेरे दोस्त मेरा हौसला हैं ,बेसहारा नहीं हूं मैं
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वाकिफ़ हूं ,तेरे हर इक ऐबो हुनर से वाकिफ हूं
मेरे कातिल, मैं तेरी हर इक नजर से वाकिफ हूं
बन कर मशीहा आस्तीनों में जो सांप पल रहे है
नजर अंदाज करता हूँ, बाकी ज़हर से वाकिफ़ हूं-
जब किसी कारण बस आपसी समबन्ध में सम्बाद स्थापित होना बंद हो जाता है!
तब कोई तीसरा आपके बीच में , गहरी खायीं निर्माण का कार्य आसानी से करता है।
- सोहित-
लगे हैं सब हो ऐसो आराम की जिंदगी बसर
पर मेरी तो चाहट है कि मौत सुकून की आये
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मुझे आवारगी में औऱ भी मशहूर होने दो
चर्चा मेरे अफवाहों की भर पूर होने दो
मैं तो मेरे तरीके से ही लडूंगा मेरी लड़ाई
जो दूर हो रहे हैं मुझसे उन्हें दूर होने दो-