"मैं कुछ नहीं जानती, बस इतना जानती हूं, कि समाज से लड़कर, दहलीज को लांघकर, किस्मत को बदलकर, हर बंधन तोड़कर, तुम्हें आना पड़ेगा, और अगले हर जन्म में मेरा साथ निभाना पड़ेगा... मैं भी लडूंगी,लांघूंगी,बदलूंगी,तोडूंगी समाज,दहलीज,किस्मत,बंधन और तुम्हें फिर मिलूंगी"
दिल की बात कह के भी क्या मिल जाएगा कौन सा उसको मैं और मुझको वो मिल जाएगा। सुकून-ए-दिल के लिए कह भी दिया तो इस दिल को नया गम मिल जाएगा। चुप्पी तो दोनों की टूटने से रही बीच में बस इंतजार रह जाएगा। दिल की बात कह के भी क्या मिल जाएगा कौन सा उसको मैं और मुझको वो मिल जाएगा।