प्रिय प्यारे मित्रों और मेरे परिवार के साथी, मैं व्यक्तिगत रूप से आप सभी को धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने मेरे जन्मदिन पर मुझे याद किया, जिन्होंने मुझे बधाई दी लेकिन सौभाग्य से आप कई दूर हैं, इसलिए सामूहिक रूप से धन्यवाद, लेकिन हर एक के लिए एक व्यक्तिगत सम्मान मेरे दिल में है, यह आप ही हैं जो मेरी जीवन प्रवास को प्रकाशमय बनाते हैं। फिरसे एक बार में आपको मिलना चाहूँगा धन्यवाद्
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"मरम्मत चल रही है जिंदगी की इन दिनों यक़ीनन एक बार फिर से जी भर के उड़ना है उन्मुक्त आसमान में कही ! "
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"ऐ जिंदगी तुम जब भी कहीं फुर्सत में मुझसे मिलने आना तो इतवार हो जाना या फिर यु कहुँ की चाय के साथ अखबार हो जाना !"
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"वो एक किनारा जो महज सब को समेटे रखता है खुद में ही कही बस खुद ही हजारों हिस्सों में जर्जर होकर ही कही '"स्त्री"
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अक्सर लोग अलग को थोड़ा अजीब मान लेते हैं ना ,वो शक्स भटका हुआँ नही जो भीड़ से कुछ अलग चाहता है!
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"ना जाने इन दिनों क्यों बेवजह के ख्यालों का बवंडर पूरे उफान पे है? दिल लगता तो नही कही अपनो के बिना फिर भी झूठी तसल्ली दिये जिंदगी का सफरनामा अब भी आबाद है"
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"ना समटेना वहम बेवजहाँ ज़हन में यकीनन एक
दिन फिर से उम्मीदो की एक नई सुरवात होगी !
क्या कभी सुना है की अँधेरो ने सुबह ही ना
होने दी हो बस जरा सा सब्र समेटे रखना साथ
अपने कही मुश्किल वक्त ही तो है कट जाएगा
एक दिन ये भी कही "-
"आखिर बचे ही नही हम तो किधर जाएंगे घर में ही बैठो वरना हम सब बे मौत मर जाएंगे?महज और कुछ ही दिन का ही ये सारा मसला है ! ये दिन हमेशा के लिए ही थोड़ी ठहर जाएगा! अभी दूर हो धर से तो अभी दूर ही रहो एक दिन हम सब धर ही जाएंगे? फासले रखो फासले रखने का ही दौर है ! अगर गलती से भी लग गई ये छुवाछुत की बिमारी तो अपने भी मुकर जाएंगे ! ये मत सोचना कभी की हमे कुछ भी नही होगा! अगर अभी नही संभले तो इस बवंडर में अपने भी ढह जाएंगे ! ये अपनी नही पुरे विश्व की बात है अगर अभी भी नही माने तो काफी नीचे हम गिर जाएंगे! हमारा मिलना अभी जरूरी नही महज खूद को ही सहेजना जरूरी है !"
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"फिर एक दिन जिंदगी उस मोड़ पे आ खडी
होती है ?कमबख्त जहाँ ठीक होना ठीक होने
से कही ज्यादा जरूरी सा प्रतीत होता है ? फिर कही!-
"सही गलत "
"आखिर ये सही गलत का फैसला करता कौन है ? किसी के लिए हम सही तो किसी के लिए गलत है? विवाह से पहले एक लड़की लड़के का एक बंद कमरे में महज रहना गलत और विवाह उपरांत बिना वधू की सहमति के यौन संबंध स्थापित करना सही ? आखिर ये सही गलत का फैसला करता कौन हैं? किसी के बेढंगे पहनावे और किसी के छोटे कपड़ों से चंद सेकंड में चरित्र प्रमाण देना सही ?आखिर ये सही गलत का फैसला करता कौन हैं? अगर खुद की ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिया गया मेरा फैसला मेरे लिए सही तो वो किसी के लिए गलत कैसे? सही और गलत जैसा कुछ होता भी है क्या अगर होता भी है तो इसका फैसला आखिर करता कौन है? यह महज खुद की परिस्थितियों और सहूलियतो के लिए बनाएं गए रीतियाँ है जो बचपन से सब के मन मे बिठा दिया गया है औऱ कुछ भी नही ?-