कहाँ आके रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा
जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।
वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईं,
दिले-बेख़बर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा।
मैं तो गुम था तेरे ही ध्यान में, तेरी आस तेरे गुमान में
सबा कह गयी मेरे कान में मेरे साथ आ उसे भूल जा। जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।-
17 SEP 2018 AT 13:58