SOHAM ZONE   (ऋshibha)
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Joined 11 November 2021


Joined 11 November 2021
16 DEC 2022 AT 9:37

नहीं था विश्वास स्वयं पर
न ही ज्ञान जरूरी समझा
हमेशा रहा गैरों पर भरोसा,
विश्वासघात से घायल होकर
भी विश्वास कायम रखा
वहीं से मेरी असफलता
की कुंजी ने साज़िश रची

अब है तो भरोसा खुद पर
ज्ञान की शक्ति .....
भगवान भरोसे

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7 DEC 2022 AT 21:13

हमें थोड़ा कमज़ोर ...
थोड़ा संकोची होना ही चाहिये,
एक बेहतर इंसान में,
ये कमज़ोरियां न हो तो
वह शैतान बन जाता है।

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6 DEC 2022 AT 20:37

किसी से नहीं उम्मीद ,
अब ज़िद खुद से है...
मन को शांत रखने के लिए,
दिल सुलझाकर रखना है..।

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6 DEC 2022 AT 20:21

भूलना था तो ये इकरार किया ही क्यों था
दिल उनको ढूंढ़ता है,गम का श्रृंगार करके,
आँखे भी थक गई हैं, अब इंतज़ार करके
मरके ही अब मिलेंगे ,जीते जी न मिल पाए,
लो आ गई उनकी याद ........

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4 DEC 2022 AT 23:38

यूँ तो आसां नहीं,वक्त निकल जाने पर
अपनी अपनी राह पकड़ लेना
पर रिवाज़ यहीं है दुनिया का
मुमकिंन तो नहीं था , यूँ नज़र अंदाज़ करूँ
दुनिया के साथ चलना है तो गुस्ताखी माफ

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3 DEC 2022 AT 19:44

कभी ज़िंदगी में ये आँखें न खुलती...
अगर रोशनी तुमसे आईं न होती।।

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2 DEC 2022 AT 23:22

चाय और आप एक जैसे थे
नापसंद
पता ही न चला
अब
दोनों के वगैर तो
नहीं रह पायेगें

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1 DEC 2022 AT 17:25

वक्त का ये परिंदा रुका है कहाँ,
मैं था पागल जो इसको बुलाता रहा,,
चार पैसे कमाने मैं आया शहर,
गाँव मेरा मुझे "याद"आता रहा ।।

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30 NOV 2022 AT 15:33

रूठे हुए को मनाना ज़िंदगी है,
दूसरों को हँसाना ज़िंदगी है,
कोई जीतकर खुश हुआ तो क्या हुआ,
सब कुछ हारकर मुस्कुराना भी तो ज़िंदगी है ।।

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29 NOV 2022 AT 16:38

समेट लिया है खुद को मैंने,
अब बिखरने का भाव नहीं...
है चेहरे से मुस्कान नदारद,
पर किसी से अलगाव नहीं
हाँ.. है हल्की सी चुभन
पर दिखने वाला घाव नहीं...
यहाँ जुवां पे है मिठास बहुत,
पर मीठा सा लगाव नहीं...

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