ना जाने अपनी राहों में किस कदर भटका हुआ हूँ मैं
जहां अटकी हो आप, वही अटका हुआ हूँ मैं ।।
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कभी कभी आगे बढ़ने के बजाय थम जाना ज्यादा बेहतर होता है,
परन्तु ये बातें तब पता चलती है जब हम बहुत आगे बढ़ चुके रहते है ।-
प्यार में हर कोई गुलाम ही होता है
पर गुलामी थोपी जाए ये जरूरी तो नही...
माना कि मोहब्बत मुकम्मल न हुआ हमारा
पर ये मोहब्बत अधूरी भी तो नहीं...
ना जाने किस बवंडर में आ फंसे
उड़ते दो आसमानी परिंदे...
एक का कहना है कि दिखावा जरूरी है
तो एक का कि दिखावा जरूरी तो नही ।।-
मुझसे दूर रहने में गर तुझे खुशी है, तो फिर ये खुशी ही सही ही सही...
वैसे भी गमो से रिश्ता मेरा सरेआम है ।।-
हाँ हाँ कमियां तो थी ही मुझमे जो तेरी शर्तो पर जी न सका....
वरना ज़मीर बेच के भी जिंदा बहुत है यहां ।।-
प्यार जब शर्तो पर होने लगे तब वो प्यार, प्यार नही बल्कि एक समझौता बन जाता है, जो चलता तो है पर नफा नुकसान देखकर ।
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मेरा तो हर सुबह जनवरी, और शाम दिसम्बर होता है ।
क़्योंकि हर सुबह "जनवरी" की तरह सपने दिखाता है, और हर शाम "दिसम्बर" की तरह हकीकत से रूबरू कराता है ।
-हम जैसे निकम्मो की यही कहानी है☺️😏😌-
मैने तो इसांनो में बस इंसान देख रखे है
पर ना जाने क्यों लोग इतनी नफरते पाल रखे है
काश ग़र ये बारिश की चंद बूंदे उनके ऊपर पड़ जाए
तो शायद वो मैल धूल जाए जो दिमाग पर परत बनाये रखे है-
उसकी और मेरी मोहब्बत में बस फर्क था इतना कि-
उसे सब कुछ चाहिए था सिवाय मेरे
और मुझे सिर्फ वो चाहिए थी सिवाय कुछ और के
😥😥-
खुद ही हाथ आगे बढ़ाकर, चलो बढ़ाते है कारवाँ अपना
वैसे भी मोबाइल के इस दौर में, रिश्ते सिकोड़ रखे है हमने ।।-