When time passed!
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संतोष पाठक
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Learner, Educator & Thinker
Joined 24 May 2019
21 FEB AT 9:08
घड़ी घूरती समय को, समय बढ़े निर्द्वन्द्व,
घड़ी समय की संगिनी, समय है मस्त मलंग।-
18 FEB AT 13:04
नैतिकता साथ निभाएगी,
जीवन की छोटी सी नौका,
नैतिकता पार लगाएगी।
नैतिकता का पतवार सबल,
नैतिकता कि अदृश्य सा बल,
विकट का काट दिलाएगी,
जीवन की छोटी सी नौका,
नैतिकता पार लगाएगी।-
14 FEB AT 11:06
प्रेम निखरता है जैसे फूल,
चहकाता-महकता है मन के आंगन को,
बिखर जाता है, जैसे फूल।-
14 FEB AT 10:56
इश्क़ फैला है, इन हवाओं में,
सांसो में भर लिया जाए,
महक गुलाब की भर लें, अपनी बाहों में,
इससे पहले कि वह बिखर जाए।।-