विद्या ददाति विनयं, विनयाद्याति पात्रताम्।
पात्रत्वाद्धानमाप्नोति धानाद्धर्मं ततः सुखम्॥
विद्या न केवल ज्ञान देती है, बल्कि यह हमें विनय और पात्रता की प्राप्ति कराती है। विनय और पात्रता की प्राप्ति से हम धार्मिकता को प्राप्त करते हैं और इससे हमें सुख मिलता है।
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संस्कृत का उदय
(संस्कृत का उदय)
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संस्कृत का उदय
Joined 12 October 2019
4 MAR 2024 AT 1:20
3 JAN 2022 AT 19:49
तुम ही हो आदि , तुम ही अनंत
सृष्टि के पालन रूप में , तुम ही हो भगवंत।
ॐ नमः शिवाय l
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