जाकी रही भावना जैसी,
प्रभु मूरत देखी तिन्ह वैसी।।

भावार्थ- जिसकी जैसी भावना प्रभु उसे वैसी ही दृष्टि भी देते हैं। इसीलिए चोरों को सब चोर और सज्जन को सब सज्जन ही दिखाई देते हैं।।

- संजीवनी