- आपके हाथों को थाम लूँ तो आपको ऐतराज है क्या?
- यह कोई रश्म है या महज़ एक खेल इसका तो पता नही पर आपके हाथों को निहारते हुए मेहंदी में अपना नाम ढूंड लूँ तुम्हें आपत्ति तो नहीं।
- यह अंगूठी! छोटी बहन ने दुकान पर जाते ही जिद किया की भाभी के लिये यही चाहिए।
- मालुम होता है अच्छी परख है उसे। बढ़ी जच रही है तुम्हारी उंगली पर।
- देखा तबसे में ही बोल रहा हूँ तुमने तो आँखें उठा कर एकबार भी मुझे नहीं देखा।
- एक ख्याल आया था मेरे सपनों में, तुम्हारे नाम लेकर खटखटा रहा था पलकों पर
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- उसने क्या कहाँ तुम सुनना चाहोगी क्या?
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