संगीता अशोक कोठारी   (संगीता अशोक कोठारी)
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आत्मा अज़र अमर हैँ, शरीर नश्वर हैँ पर अच्छे कर्म साथ चलेंगे
Joined 18 February 2019


आत्मा अज़र अमर हैँ, शरीर नश्वर हैँ पर अच्छे कर्म साथ चलेंगे
Joined 18 February 2019

सादगी और शिष्टाचार,
हैं जीवन का आधार।
तड़क भड़क और दिखावा,
करता जीवन का बंटाधार।।

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समझाते है ख़ुद को बहुत..
पर कभी सामाजिक दबाव में,
तो कभी मर्यादाओं के मापदंड से,
रिश्तों को ढोना ही पड़ता चाहे अनचाहे!!

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मोहब्बत के मिलाप में रूह की गहराइयों को तो देखो,
दिलों का मेल तो वाज़िब था कपड़ों के रंग भी देखो!

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तुमसे प्यार है क्या हर किसी को यही कहोगे!

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जिंदगी
ईश्वर का अनमोल,खूबसूरत,अनुपम तोहफ़ा है जिंदगी,
ना जाने कितनी योनियाँ भटकने के बाद मिलती ये जिंदगी,
प्रथम साँस से अंतिम साँस तक का सफ़र हैं ये जिंदगी,
क्या पता कब साँसे उखड़ जाये जिंदगी की हकीकत यही,
कभी खुशगवार कभी ग़मगीन कभी हसीन हैं जिंदगी,
हँसाती हैं रुलाती हैं कभी मज़ाक भी बनाती हैं जिंदगी,
किसी की अच्छी किसी की बेहतर किसी की बेहतरीन हैं जिंदगी,
तो किसी की अभाव,मुफलिसी से अभिशाप बन गयी ये जिंदगी,
घुमावदार,उबड़-खाबड़,पेचीदगी से भरी अनपेक्षित हैं जिंदगी।
📝संगीता अशोक कोठारी 📝

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माना मोहब्बत के दायरे में दो दिल आते हैं,
वात्सल्य रूप,मवेशी प्रेम भी दिल में होते हैं,
वनस्पति से मोहब्बत भी दिलवाले करते हैं,
पर प्रभु के प्रति पावन प्रेम सर्वोपरि मानते हैं।

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जब से तेरा रिश्ता आया,
दरमियाँ दूरियों ने धावा बोला,
अनचाही रिक्तता ने पैर पसारा,
सालों का प्यार मेरा अब हार गया,
किससे और क्या कहूँ रो रहा मन मेरा,
मेरा होनेवाला तेरा आँगन बेगाना हो गया।

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मतलब होता जहाँ,
प्रेम नहीँ होता वहाँ।

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क्षणभंगूर जीवन में रहेंगे या मरेंगे आनेवाले पल का भी भरोसा नहीं!
पैदा की इन दूरियों से कहो गलतफ़हमी में ना रहें यहाँ अमर कोई नहीं।

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कुछ ग़लत कहा क्या?
चलो तुमसे माफ़ी माँग लेंगे,
गहराई में गोता मत लगा..
कभी भी थाह नाप ना पाएंगे,
जीवन के सफ़र का मजा लेना..
तो बीती हुई बातों पर धूल उड़ा देंगे
अब रूठो ना आओ मेरे गले लग जा..
तो प्रेम पाश से गिले शिकवे दूर हो जायेंगे।।

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