हम नारी ही क्यों......
कल आइने में खुद को देखा
तो लगा कुछ खो सा गया है
वो जो चेहरा कल तक मुस्कुराता था
आज गुम हो सा गया है
झूठी परंपराएं और झूठी शान ने
हमारी आबरू को झल्ली कर दिया है
हम नारी ही क्यों.......
वैसे तो दुर्गा,काली,जगत जननी हूं मैं
पर जब खुद को ढूंढा तो
खाक सी दिखी मैं
हर वेदना हर कष्ट सहती चली गई मैं
और लोगो को लगा कि बेचारी हूं मैं
अगर ये सब दुख झेलना लिखा है सबको
तो हम नारी ही क्यों........
रास्ते कठिन है तो तुम्हारा सहारा क्यूं
वो मर्द है तुम औरत हो
ये बोलकर हर बार हमें नकारा क्यूं
अगर ये सब सही है
तो हर बार हम नारी ही क्यों...........-
#Comrade🤟😍🤗
♥️RAJPUT CHORI👸😈
✌️NAVODAYAN💕💞
♥️CAKE MURDER-11 MA... read more
शाम-ए-मोहब्बत में हम भी महफ़िल जमाया करते है
अपने जख्मों को यूं ही छुपाया करते है.....🤐🤐
और तू चला गया तो क्या ग़ालिब.......😐
और तू चला गया तो क्या ग़ालिब.......😐
आज भी तेरे आने के वादे में
अपना वक्त यूं ही जाया करते है 😐🥀-
ग़ालिब कहते हैं की....😷😷
तुमने अभी कहां कुछ बुरा देखा है 😏😏
अब उन्हें कौन बताए कि
इससे बुरा मैं क्या देखूं 😕
मैंने खुद को अपनों के बीच नीलाम होते देखा है 😫
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अब जीने की आरजू खत्म-सी हो गई है
खुशियां कहीं दफ़न सी हो गई है
अब सपने भी दम तोड़ते नजर आ रहे है
खुद की पहचान कहीं खो सी गई है
ऐ जिंदगी गले लगा ले..........
ऐ जिंदगी गले लगा ले..........
चल खुशियों की तलाश में निकलते है
अपनों से रंजीसे खत्म करते है
अब थक चुके है ये क़दम
इस भाग दौड़ वाली जिंदगी में
कहीं फुर्सत से बैठते है
ऐ जिंदगी गले लगा ले...........
ऐ जिंदगी गले लगा ले...........
एक कप चाय की प्याली लिए हाथों में
अपनों में बैठते है
यूं जो आ गई है हमारे बीच इतनी दूरियां
इन्हें थोड़ा-थोड़ा ही करके खत्म करते हैं
रिश्तों की मिठास में
थोड़ा सा अपनापन भरते है
ऐ जिंदगी गले लगा ले.........
ऐ जिंदगी गले लगा ले.........
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वो पिता ही तो है😍♥️🤗
यूं तो अल्फाज़ कम है उस शख्स के लिए मेरे पास
जो है हम सबका सबसे खास......
उसकी हंसी में कुछ तो है बात
तभी तो उनके होने से होती है
हर सुबह एक प्यारी सी नयी शुरुआत
कभी गिरते हुए हमें संभालना
तो कभी हमें सही रास्तों पर चलना सिखाना
कभी ढ़ेर सारा गुस्सा तो
कभी प्यार की बरसात कराना
अपने कंधों पे बैठा के ये पूरा जहां दिखाना
वो पिता ही तो है जो है हम सबका प्यारा
कभी खुद से तो कभी ख़ुदा से
हमारे लिए लड़ जाना......
हमारी ज़रूरतों और ख्वाहिशों को
पूरा करने के लिए अपनों से अड़ जाना
कभी एक दोस्त तो कभी फ़रिश्ते की तरह
हमारी परेशानियों को चुटकियों में सुलझाना
वो पिता ही तो है जो है हम सबका प्यारा......-
वो काली रात
यूं तो निकली थी कुछ पाने को
पर मैंने अपना सबकुछ दे दिया इस ज़माने को
गुमशुदा सी हूं किसी के ख्यालों में....
अब ढूंढती फिर रही हूं खुद को इन गलियारों में
अब रात के अंधेरो से
मेरा अलग ही रिश्ता है निभाने को.....
मैंने अपना सबकुछ दे दिया इस ज़माने को
अकेले ही चल पड़ी हूं.....
इस ज़माने की झूठी परंपरा मिटाने को
न दिन का सुकून न रात का खौफ है
मेरे जैसे दिवाने को.....
मैंने अपना सबकुछ दे दिया इस ज़माने को
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यूं तो टूट के बिखर चुकी हूं
लेकिन कुछ सांस बाकी है....
है चाह मंजिल को पाने की
मन में आस बाकी है
माना बार-बार गैरों से आजमायी गयी हूं
लेकिन अपनों में पहचान बाकी है
यूं तो टूट के बिखर चुकी हूं
लेकिन कुछ सांस बाकी है....
सबकुछ सही करने की चाहत में
खुद को ही ग़लत साबित कर बैठी मैं
अब परायों से क्या डर
जब अपनों से हार बैठी मैं.....
अब सपने भी अच्छे लगने लगे हैं
क्योंकि खुद की तलाश में
पहली बार निकली हूं मैं
अब शिकायत नहीं है किसी से
क्योंकि जिंदगी में पहली बार संभली हूं मैं
यूं तो टूट के बिखर चुकी हूं
लेकिन कुछ सांस बाकी है......
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पहली मोहब्बत 😌😍🤗
मोहब्बत नही थी उसे मुझसे😐😐
लेकिन कुछ तो बात थी......
जो मै उसकी ओर यूं...
खिंची चली जाती थी..
उसका यूं मुझे बातों में उलझाना
और फिर मुझसे ही मुझको चुराना
सबकुछ तो अच्छा लगा ☺️☺️
माना जानती नही थी उसे मै
लेकिन देख के कभी ऐसा भी नही
लगा कि अजनबी है वो
जिस खुशी की तलाश मुझे मेरे अपनों से थी
वो मुझे उसके हर झूठ से मिली☺️☺️
उसके हर झूठ में भी मैंने उसके सच को तलाशा
कभी खुद के झूठ में उलझी रही....😑
तो कभी उसके बुराइयों में उसके अच्छाईयों को तराशा
कुछ तो बात थी उस शख्स में😕😕
वरना उसका दूर जाना मुझे इतना न खलता🥺
उसकी ही बातों को सोच के
यूं मेरा दिन न निकलता😕😕
वो शख्स जो भी था जैसा भी था
पहली मोहब्बत था मेरा 😍❤️🤗
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