Snehita Singh   (Snoul_amour)
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Joined 14 May 2020


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Joined 14 May 2020
5 JAN 2021 AT 8:01

हाथ जोड़कर 'इबादत' कर,चाहे
सर झुकाकर तू 'पूजा' कर
'चादर' डाल तू, या चाहे 'फूल' चढ़ा
'गुरूग्रंथ' के पथ पर चल,चाहे
'बाइबल' को तू अपना आदर्श बना
चाहे तू यहाँ पर कुछ भी कर!
बस उस 'पर्मात्मा' के हर बच्चे की
रक्षा, सुरक्षा और सम्मान कर।

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5 JAN 2021 AT 7:47

क्या खूब है ये 'मायानगरी'
'मुंम्बादेवी' जाने के लिए,
'मस्जिद' उतरना पड़ता है,और
'हाजी अली' जाने के लिए,
'महालक्ष्मी' से गुज़रना पड़ता है
'महामाया' का करिश्मा ही ऐसा है!
कि हमें हर धर्म को,
'महान' समझने की बुद्धी देता है।

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3 JAN 2021 AT 15:26

धुंधला धुंधला सा कुछ,
पर है मुझे आज भी याद!
कि जैसे मेरी नन्ही उंगलियों को थामकर,
आपने मुझे चलना सिखाया था ना...पापा!
कि जैसे मुझे छोटी सी चोट लगने पर
आप इतना घबराया करती थी ना...मम्मा!
धुंधला धुंधला सा कुछ,
पर है मुझे आज भी याद!
कि मेरी हर छोटी सी छोटी ख्वाहिश को,
पलक झपकते ही पूरा कर देते थे ना...पापा!
कि मुझे भूख लगने से पहले ही,
मेरे पेट भर देती थी ना...मम्मा!
धुंधला धुंधला सा कुछ,
पर है मुझे आज भी याद!
-----(continued in caption)

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2 JAN 2021 AT 13:28

वो कैसे सोती होगी चादर के बगैर?
आँखों में उसकी भी होंगे कुछ सपने,
मुकम्मल मंजिल के बगैर!
छिप जाता होगा क्या उसका बदन,
चमचमाती धूप में जलाए बगैर?
भर जाता है क्या भी उसका पेट,
अपनी इज्जत गवाँए बगैर?
झूम लेती है क्या वो बारिश में,
कीचड़ में पाँव भिगोए बगैर?
उसकी समंदर जैसी आंखों में,
नींद आ जाती होगी क्या आँसुओं के बगैर?
क्यों मिल रही है उसे यह सजा,
किसी गुनाह के बगैर?

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1 JAN 2021 AT 9:05

जिन हाथों की मेहरबानी से रोटी खा रहे हो,
उन्ही पर आज छाले पड़े हैं!
तो फिर क्यूं आज मुह फेर कर जा रहे हो?
भूल गए एक रोटी के लिए कितना संघर्ष किया है इन हाथों ने?
भूल गए कि निस्वार्थ होकर इन्होने तुम्हारा पेट भरा है?
नहीं!........अरे तो फिर क्यूं इन्हे इज़्जत और प्यार देने से कतरा रहे हो?

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28 DEC 2020 AT 23:32

Aaj hum phir mile,
Aaj ghabrahat kuchh kam thi...
Baatein krne ko bht thi
Prr kambhakht man mein halchal bht thi...

Har bar uski ankhein kuchh kehna chahti thi..
Shayad wo sab kuchh bhool kar mujhmein doobna chahti thi..

Chehre prr uske alag chamak thi...
Pyaar mein uske aaj ek alag hi dehak thi....

Ek vishwas k saath usne khud ko meri baahon mein saup diya....
.......(read full story in caption)

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28 DEC 2020 AT 13:18

ये जो तू दूसरी छोरियाँ ने ताड़े है!
जा ताडले!!
ओर के कैवे है? मेरे ते प्यार करे है!
ते फिर क्यूं इधर उधर देखे है लाडले?
अरे जा! पहले ठीक से प्यार का मतलब जाणले।

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28 DEC 2020 AT 11:33

जब से तेरा दीदार हुआ है
अपने दिल का पता ढूंढती हूं,
लापता है अब मेरा मन तेरी गलियों में कहीं
हाँ मैं तेरी आँखों में मेरे लिए प्यार ढूंढती हूं!

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28 DEC 2020 AT 9:06

हमारी तनहाई हमें अपना हमसफर बना बैठी है
इन साँसों में तेरी खुशबू आज भी ज़िंदा है
और दिल ये अब मेरा घायल परिंदा है
फिर भी तेरे दिल के आसमां में उड़ने की चाहत,
हमें रोज़ जीने के लिए मजबूर बना बैठी है

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27 DEC 2020 AT 13:30

सुना है
तस्वीरें बहुत खूब लेते हो तुम!
कभी कुछ मुहब्बत के पल
भी कैद कर लो अपने दिल में

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