Snehil Srivastava   (स्नेहिल)
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Joined 18 November 2019


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Joined 18 November 2019
20 JUN 2024 AT 0:32

उस निशान पर सवाल आज भी होते हैं
जिनके होने की कहानियाँ हज़ारों हैं

कुछ हंसी के निशान हैं तो कुछ ग़म के भी हैं
जिनके होने की दुश्वारियाँ हज़ारों हैं

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18 JUN 2024 AT 23:30

फिर कभी
वो नमूदार होकर बोले - कभी मिलते नहीं?
जिनकी ख़बर और वक़्त कभी ढलते नहीं

वाकिफ हूँ उनके ठौर और ठिकानों से
मुरझाये फूल फिर कभी खिलते नहीं।

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18 JUN 2024 AT 23:26

नीयत

वो जिसपर फ़िदा हैं, एक हसीं राज़ है
गुलाबी फ़िज़ाओं का एक अलग अंदाज़ है

चाहतों का क्या, हद पार भी कर जाएं
नीयत ज़रा वैसी है, मगर दिल बोहोत साफ़ है

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18 JUN 2024 AT 1:26

मुझे चलने से गुरेज नहीं, तुम्हारे साथ से है
मुझे बातों की फ़िक्र नहीं, तुम्हारे अंदाज़ से है
तुम कितना भी चाहो मुझे, मुझे कोई चाह नहीं
माथे पर शिकन का ढेर लगा लो, परवाह नहीं

एक बार तो थी मोहब्बत तुमसे, कुबूल करता हूँ
जितनी मोहब्बत तब थी, उतनी ही नफरत करता हूँ
सच क्या, झूठ क्या मैं जानता हूँ या मेरा खुदा
मैं कहीं तो जरूर हूँ, लेकिन खुद में खुद से जुदा

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9 MAY 2024 AT 19:27

मुझको मेरे ससुराल भेज दो
वहां ये मेरा हाल भेज दो
माँ का रोना अब देखा नहीं जाता
पिता का खिलौना अब टेका नहीं जाता
मुझे अब उन दूजे फूलों की सेज दो
मुझको मेरे ससुराल भेज दो

भैया से लड़ाई अब याद आती है
गुड्डे गुड़ियों की सगाई अब याद आती है
देखो भैया मुझे फिर रुलाता है
फिर प्यार से छुटकी बुलाता है
इन सारी बातों को कहीं सहेज दो
मुझको मेरे ससुराल भेज दो

जब मैं मेरे ससुराल जाऊँगी
इन बातों को ना भूल पाऊँगी
सबकी मुझको याद आएगी
सोने पर भी नींद ना आएगी
माँ...! तुम मुझे अपना सा तेज दो
मुझको मेरे ससुराल भेज दो...

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1 JAN 2024 AT 16:23

धैर्य युक्त वर्ष हो
भय मुक्त विमर्श हो
सर्वस्व व्याप्त हर्ष हो
उन्नति सम्पूर्ण वर्ष हो

शुभेक्षा यही, प्रार्थना वही
ईश्वर समक्ष अर्चना नयी

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19 DEC 2023 AT 0:53

कहता हूँ...

चलो एक बात कहता हूँ
रिदय का साज़ कहता हूँ।
मद्धम सा लगे जो कानों को
वो गहरी आवाज़ कहता हूं।
अविरल भीड़ की परछाई में
सुदृढ़ एक साथ कहता हूँ।
उस मन की भीगी टीस की,
हंसी अकस्मात् कहता हूँ।
चलो एक बात कहता हूँ
रिदय का साज़ कहता हूँ।

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28 SEP 2023 AT 1:49

आज
आज कहीं खून का एक कतरा नहीं बहा
ना ही कहीं किसी मासूम की मौत हुई
आज कहीं कोई भूख से बिलखता नहीं दिखा
ना ही कहीं किसी लड़की की इज्जत लूटी गयी
आज कहीं किसी माँ का दिल नहीं दुखा
ना ही किसी पिता की नज़रें शर्मसार हुईं
आज हर कोई अच्छा इंसान बन गया
आज किसी ने किसी की बुराई नहीं की
आज नेताओं ने भी देश का सम्मान किया
कहीं भी गन्दी राजनीति नहीं हुई
आज सीमा पर कोई सैनिक शहीद नहीं हुआ
और दुश्मन देशों के बीच खिंचीं लकीरें मिट गयी
आज निष्कलंक रही धरती की धुंधली सुबह
आज कहीं कोई काली रात नहीं हुई

आज यही सुहावना सपना मैंने फिर देखा
और मेरे आँखों से नमी बस बहती चली गयी

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20 SEP 2023 AT 21:49

पसंद है मुझे बेख़ौफ़ रहना
मौत एक दिन सबको आएगी
मुश्किल कुछ भी नहीं दुनिया में
जिंदगी चलती है चलती चली जायेगी
हार जीत का फ़र्क मन का भरम है
ग़र टूट जाये तो ही अच्छा
जो भरम ना भी टूटे, इसी कशमकश में
जिंदगी हारेगी मौत से फिर भी जीत जाएगी

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23 AUG 2023 AT 20:14

चाँद की सतह

ऊँचाइयाँ बहुत हैं छूने को,
सच है कुछ दूरियाँ भी हैं
मिल जाएंगी सब की सब,
अब कोई मजबूरियां नहीं हैं
स्वप्निल आंखों से देखें हैं हमने
अनगिनत हंसी के मंज़र
चाँद की सतह सी हकीक़त
आज हर चेहरे की हंसी बनी है

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