सुनती हैं सड़कें हमारी बातें
वो भी करती हैं प्रेम
ठीक हमारी तरह,
कल मेरे जाने के बाद
तमाम लोगों के जैसे
बरसेगा बादल
उनकी भी आँखों से...
भींग जायेंगे
पेड़-पौधों पर मौजूद पत्तें
चाँद की गवाही में
तुम सुबह देखना उन अश्कों को
और सोचना की ओस हैं वो।
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लाल नहीं हो सकता प्यार का रंग।
ये खौफजदा आँखें, कांपते हाथ...
हारती धड़कन, टूटती साँस...
ये सब है गवाह
इस रंग की क्रूरता के।
देखी है इस रंग ने
केवल हिंसा
इसे पसंद है खून
अच्छी लगती है इसे चीखें
इसलिए
लाल नहीं हो सकता प्यार का रंग।
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तुम्हें नहीं है मुझसे प्रेम,
क्योंकि नहीं हो सकता प्रेम इतना निष्ठुर
प्रेम में नहीं होता इतना अहं
नहीं होती कोई बात प्रेम में
इतनी बड़ी, इतनी महत्वपूर्ण
कि निर्मम हो देखे वो
प्रिय की तड़पन।
प्रेम में शिकवे हो सकते हैं
हो सकती हैं शिकायतें
मुमकिन है अलग मत होना
अनबन, झगड़ा मुमकिन है पर
नामुमकिन है प्रेम में करना
एक-दूजे को नजरअंदाज।
प्रेम परे है सही-गलत के।
नहीं सीखी सांसारिकता उसने
वो तो पाक है इतना कि
मौजूद नहीं उसकी उपमा
तुम्हें नहीं है मुझसे प्रेम,
क्योंकि नहीं हो सकता प्रेम
इतना समझदार।
~ स्नेहिल स्पर्श
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तकिये संग की
वो सारी बातें,
सिसकियाँ, आंसू,
वो सर्द रातें,
खाली, काली, स्याह सड़कों पर..
ढ़ंढ़ना तुमको
आते-जाते,
तेरे साथ
बिताये लम्हों को
वक्त की गिरफ्त में डाल कर
तुझसे दूर जाने को
खुद को मनाना
याद है मुझे
कभी तेरी यादों को
जहन से नहीं मिटा पाऊंगा
मगर
तुझसे जुड़े अहसासों को
एक-एक कर मिटाना
याद है मुझे।-
कभी की नहीं मैंने कोशिश
कुछ अधूरे मन से करने की,
शायद इसलिए
अधूरी रही अकसर
मेरी लिखी तमाम कविताएं,
कहानियां और उपन्यास...
ठीक हमारी मोहब्बत की तरह।
[ पूरी रचना कैप्शन में ]-
ताउम्र भागा
तीरगी से...
और वही
हासिल हुआ,
इश्क़ को
समझा इबादत,
खुद का ही
कातिल हुआ।-
कुछ मरासिम हैं मुकम्मल,
कुछ रिश्ते हैं
जो टूट गए...
हैं अब तलक
कुछ साथ-साथ,
कुछ यार राह में रूठ गए।
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रिवायतों के नाम पर, हैं भगवा ये लहरा रहें
तिरंगे में हरा है जो, उसे दूजे का बता रहें
इस जमीं की एकता की टूटती मैं श्वास हूँ
हैरान हूँ, हताश हूँ, निशब्द हूँ, निराश हूँ।
है मुक्त झूठ यहाँ घूमता, सच है सलाखों में घिरा
जुगनुओं को कैद कर उन्हें बोलते हैं आधिरा,
मैं देख कर उनका रुदन, खामोश हूँ, उदास हूँ
हैरान हूँ, हताश हूँ, निशब्द हूँ, निराश हूँ।
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वक्त थोड़ा
कम है,
मुझको
जाना होगा...
खुशियों की
शाम ढ़ल चुकी,
अब रात को
आना होगा।
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