स्नेहिल सिंह राणावत   (स्नेहिल सिंह राणावत)
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Joined 19 February 2017


Joined 19 February 2017

All these thing to write ,
still i choose to write about you

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कट जायेंगे ये रस्ते सभी ,
गर हाथों में मेरे तेरा हाथ हो
कुछ मिले ना मिले इस जहां में मुझे ,
मगर मुझकों तो बस तेरा साथ हो
जीने को तो यु ही जी लेंगें तन्हा ,
पर तू साथ हो तो क्या बात हो
बहारें - बहारें ही होंगी दिल के चमन में ,
कुछ भौंरे कलियाँ भी मुस्काती होंगी
कुछ फूल पति लगी होगी डाली पे मन की ,
कुछ चिड़ियाँ घरौंदे बनातीं भी होंगी
सुगन्धित , प्रफुल्लित मन होगा मेरा ,
मुस्काने भी होठों पे आती ही होंगी
स्वर्ग सा सुन्दर घर होगा मेरा ,
खुशियाँ वहाँ मुस्काती भी होंगी
हर दिन लगेगा त्यौहार जैसा ,
जो पायल आँगन में तेरी रूनझुनातीं होंगी
मुझको मिल जायेंगे सुख इस जहाँ के सभी ,
जब संग माँ के बैठ तुम बतियातीं होंगी
सच कह रहा हूँ तुम्हारे बिना ,
न कहीं मेरी ये दुनियाँ मुस्काती होंगी
जिस तरहा मिलती हो ख्वाबों में मुझको ,
जो मिलो तुम हक़ीकत में क्या बात हो
मिले ना मिले फिर जहाँ से मुझे कुछ ,
बस हाथों में मेरे तेरा हाथ हो
मैं मानूँगा खुद को बड़ा खुशनसीब ,
गर नसीबों मेरे तेरा साथ हो
कट जायेंगे ये रस्ते सभी ,गर हाथों में मेरे तेरा हाथ हो

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आप जितना समझते हो
उतना बुरा भी नहीं हूं मैं
बस कुछ देर के लिए उलझा हुआ हूं अपनी जिंदगी में
पर इतना बुरा भी नहीं हूं मैं।
 
हां माना ग़लतियां बहुत करता हूं
और समझ भी नहीं पाता के गलती हुई,
पर वो मेरी नजरअंदाजी नहीं
थोड़ी वक़्त की उलझन है क्यूंकि
इतना बुरा भी नहीं हूं मैं।

हां थोड़ा उलझ सा गया हूं,
थोड़ा टूट सा गया हूं
वो क्या है लड़ाई अकेले लड़ता आया हूं ना
थोड़ा बिखर सा गया हूं मैं

अब आप मिल गए तो थोड़ा आपसे लड़ लेता हूं,
पर इतना भी बुरा नहीं हूं।

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पता है तुम्हे जब उस डॉक्टर ने
कहा कि तुम्हे कैंसर है
तो क्या हुआ
मैंने सोचा इस 25 बरस की ज़िंदगी
में तुम मेरे इतने ही हिस्से में थी?
सिर्फ इतना सा ही तुम्हरा साथ है
मुझे दुनिया से चले जाने का गम था
पर उससे ज्यादा तुम्हरा साथ खो देने का डर था
पापा से बात करते करते मेरी आंखें भर गई थी
उन आंसू भरी आंखों में
मैं तुम्हे ढूंढ रहा था
सब कुछ धुंधला हो गया था
मेरी आंखों के आगे पर तुम्हे
मैं साफ देख पा रहा था
धुंधली आंखों में भी तुम्हरा चेहरा साफ दिख रहा था
ठीक वैसे ही जैसे किसी झील में
चांद बिल्कुल साफ नजर आता है रात गए,
सारे जहां ने आशिकी में
अपनी महबूबा को चांद ही कहा है
पर तुम मेरी जान हो
और तुम सिर्फ चांद नहीं पूरे का पूरा आसमान हो।।

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मेरी संगिनी

एक तुम्हारे होने भर से सब रिश्तो के नाम जुड़े
एक तुम्हारे नाम पर ही हमने गीतों के बोल लिखे
एक तुम्हारी पलकों के नीचे हमने सारे ख्वाब बुने,
जब भी मुश्किल घड़ियां आई तुमने मुझको थामे रखा
कड़ी धूप के पल में भी मुझको अपनी जुल्फों के साए में छुपाये रखा,
मिला कभी भी जख्म कहीं तो तुमने ही उसपे मरहम लगाया
जब सारी उम्मीदें बुझ गई तो प्रेम दिया सिर्फ तुमने जलाया,
एक तुम्हारे संग होने से सारे सपने सुहाने हो गये
एक तुम्हारे हाथ थामने से मेरे सारे दर्द तकलीफें पराये हो गये,
अभी दिल में बहुत से मीठे एहसास कहने को बाकी है
पर उन्हें अपने होठों से तेरे होठों पर लिखने अपने अफसाने हैं।

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Sometimes people say
"AS YOUR WISH"
To see that does
you really read
your closeone's heart
and In actual what they
want to say to you.

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मौत की जिंदगानी

बस कुछ पल की तो बात है एक तरफ जिंदगी खड़ी
तो एक तरफ मौत की ढाल है एक तरफ पतझड़ की रूखी हवाएँ, तो एक तरफ सावन की हरी डाल है और अतीत सब कुछ बहा ले जाने को आतुर था, पास थी तो सिर्फ खामोशी, जिसने लपेट रखा था सब कुछ अपनी अंतहीन चादर में आंधियों के आने से पहले सब खामोश थें, उसी तरह जिस तरह किसी तेज आंधी में बड़े बड़े आशियानें उजड़ जाने के बाद खामोशी छायी रहती है, फिर आशियानों को उजड़ने के बाद आयीं खामोशी आंधी जाने के बाद और भी खामोश हो गए, दिल में दबे डर के दर्द उभर कर चेहरों पर आ गया थे आँखों से दर्द का आलम बढ गये थे दर्द फिर से हरे होगये थे , फिर भी जख्मों के जबान पर खामोशी ही खामोश थी निशब्द होकर कुछ कह रही थी शायद मौत आने से पहले ,उसकी इंतहा ले रही थी और वहीं बेबसी खामोश होकर सिसकियाँ ले रही थी मगर साँसों का दामन उम्मीद ने नहीं छोड़ा था , धड़कने अब भी अपनी रफ्तार से चल रही थीं हाँ वक्त जरूर कुछ पल को ठहर सा गया था पर जिंदगी जीने की चाहतें भी कहाँ हार मानती है खड़ी रही राहों में मौत के साँसों की ज्योति को हाथों में पकड़े हुये और फिर ज़िंदगी मुस्कुरा रही थी।
यह देखकर कि मौत भी अजीब खेल हैं अजनबियों को भी दुआ के लिए मजबूर कर देती है और आखों में अनगिनत सपनें लिए जीवन के एक नये सफर पर चलने के लिए वो भी साथ एक साथ..

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बीते दर्दों की दास्ताँ सुनाऊँ
और फिर उसके लबों का मजाक बंजाऊँ
बेहतर है,
चेहरे पे झूठे मुस्कुराहट के मुहँखोटे को लगाऊँ
और हमेशा के लिए खामोश हो जाऊँ।

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फिर कभी
वक़्त भी होगा
बातें भी होंगी
पर शायद वो अपने न होंगे।

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One thing
he teaches us
Very deeply:

That Life Won't Be Beautiful
Until You Smile...

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